Thursday, May 7, 2015

मुरली 08 मई 2015

“मीठे बच्चे - तुम फिर से अपने ठिकाने पर पहुँच गये हो, तुमने बाप द्वारा रचता और रचना को जान लिया है तो खुशी में रोमांच खड़े हो जाने चाहिए |” प्रश्न:- इस समय बाप तुम बच्चों का श्रृंगार क्यों कर रहे हैं? उत्तर:- क्योंकि अभी हमें सज-धज कर विष्णुपुरी (ससुर-घर) में जाना है। हम इस ज्ञान से सजकर विश्व के महाराजा-महारानी बनते हैं। अभी संगमयुग पर हैं, बाबा टीचर बनकर पढ़ा रहे हैं - पियरघर से ससुरघर ले जाने के लिए। गीतः आखिर वह दिन आया आज .......... धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) सवेरे-सवेरे अमृतवेले उठ ख्याल करना है - बाबा हमारा बाप भी है, टीचर भी है, अभी बाबा आया है हमारा ज्ञान रत्नों से श्रृंगार करने। वह बापों का बाप, पतियों का पति है, ऐसे ख्याल करते अपार खुशी का अनुभव करना है। 2) हर एक के पुरूषार्थ को साक्षी होकर देखना है, ऊंच पद की मार्जिन है इसलिए तमोप्रधान से सतोप्रधान बनना है। वरदान:- विघ्न प्रूफ चमकीली फरिश्ता ड्रेस धारण करने वाले सदा विघ्न-विनाशक भव! स्व के प्रति और सर्व के प्रति सदा विघ्न विनाशक बनने के लिए क्वेश्चन मार्क को विदाई देना और फुल स्टॉप द्वारा सर्व शक्तियों का फुल स्टॉक करना। सदा विघ्न प्रूफ चमकीली फरिश्ता ड्रेस पहनकर रखना, मिट्टी की ड्रेस नहीं पहनना। साथ-साथ सर्व गुणों के गहनों से सजे रहना। सदा अष्ट शक्ति शस्त्रधारी सम्पन्न मूर्ति बनकर रहना और कमल पुष्प के आसन पर अपने श्रेष्ठ जीवन के पांव रखना। स्लोगन:- अभ्यास पर पूरा-पूरा अटेन्शन दो तो फर्स्ट डिवीजन में नम्बर आ जायेगा। ओम् शांति ।