Tuesday, April 21, 2015
मुरली 22 अप्रैल 2015
“मीठे बच्चे - अपनी अवस्था देखो मेरी एक बाप से ही दिल लगती है या किसी कर्मसम्बन्धों से दिल लगी हुई है |”
प्रश्न:-
अपना कल्याण करने के लिए किन दो बातों का पोतामेल रोज़ देखना चाहिए?
उत्तर:-
योग और चलन का पोतामेल रोज़ देखो। चेक करो कोई डिस-सर्विस तो नहीं की? सदैव अपनी दिल से पूछो हम कितना बाप को याद करते हैं? अपना समय किस प्रकार सफल करते हैं? दूसरों को तो नहीं देखते हैं? किसी के नाम-रूप से दिल तो नहीं लगी हुई है?
गीतः मुखड़ा देख ले ...........
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) कोई भी कर्तव्य ऐसा नहीं करना है जिससे यज्ञ पिता की निंदा हो। बाप द्वारा जो राइटियस बुद्धि मिली है उस बुद्धि से अच्छे कर्म करने हैं। किसी को! भी दुःख नहीं देना है।
2) एक-दो से उल्टा-सुल्टा समाचार नहीं पूछना है, आपस में ज्ञान की ही mबातें करनी हैं। झूठ, शैतानी, घर फिटाने वाली बातें यह सब छोड़ मुख से सदैव रत्न निकालने हैं। ईविल बातें न सुननी है, न सुनानी है।
वरदान:-
सदा निजधाम और निज स्वरूप की स्मृति से उपराम, न्यारे प्यारे भव!
निराकारी दुनिया और निराकारी रूप की स्मृति ही सदा न्यारा और प्यारा बना देती है। हम हैं ही निराकारी दुनिया के निवासी, यहाँ सेवा अर्थ अवतरित हुए हैं। हम इस मृत्युलोक के नहीं लेकिन अवतार हैं सिर्फ यह छोटी सी बात याद रहे तो उपराम हो जायेंगे। जो अवतार न समझ गृहस्थी समझते हैं तो गृहस्थी की गाड़ी कीचड़ में फंसी रहती है, गृहस्थी है ही बोझ की स्थिति और अवतार बिल्कुल हल्का है। अवतार समझने से अपना निजी धाम, निजी स्वरूप याद रहेगा और उपराम हो जायेंगे।
स्लोगन:-
ब्राह्मण वह है जो शुद्धि और विधि पूर्वक हर कार्य करे।
ओम् शांति ।