Monday, April 20, 2015

मुरली 21 अप्रैल 2015

“मीठे बच्चे - बाप तुम रूहों से रूहरिहान करते हैं, तुम आये हो बाप के पास 21 जन्मों के लिए अपनी लाइफ इनश्योर करने, तुम्हारी लाइफ ऐसी इनश्योर होती है जो तुम अमर बन जाते हो |” प्रश्न:- मनुष्य भी अपनी लाइफ इनश्योर कराते और तुम बच्चे भी, दोनों में अन्तर क्या है? उत्तर:- मनुष्य अपनी लाइफ इनश्योर कराते कि मर जायें तो परिवार वालों को पैसा मिले। तुम बच्चे इनश्योर करते हो कि 21 जन्म हम मरें ही नहीं। अमर बन जायें। सतयुग में कोई इनश्योर कम्पनियाँ होती नहीं। अभी तुम अपनी लाइफ इनश्योर कर देते हो फिर कभी मरेंगे नहीं, यह खुशी रहनी चाहिए। गीतः यह कौन आज आया सवेरे....... धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) अन्तर्मुखी होकर अपनी अवस्था को जमाना है, अभ्यास करना है - मैं आत्मा हूँ, अपने भाई (आत्मा) को बाप का सन्देश देता हूँ...... ऐसा आत्म-अभिमानी बनने की गुप्त मेहनत करनी है। 2) रूहानी सर्विस का शौक रखना है। आप समान बनाने की मेहनत करनी है। संग का दोष बड़ा गन्दा है, उससे अपने को सम्भालना है। उल्टे खान-पान की आदत नहीं डालनी है। वरदान:- बाप और प्राप्ति की स्मृति से सदा हिम्मत-हुल्लास में रहने वाले एकरस, अचल भव! बाप द्वारा जन्म से ही जो प्राप्तियां हुई हैं उनकी लिस्ट सदा सामने रखो। जब प्राप्ति अटल, अचल है तो हिम्मत और हुल्लास भी अचल होना चाहिए। अचल के बजाए यदि मन कभी चंचल हो जाता है वा स्थिति चंचलता में आ जाती है तो इसका कारण है कि बाप और प्राप्ति को सदा सामने नहीं रखते। सर्व प्राप्तियों का अनुभव सदा सामने वा स्मृति में रहे तो सब विघ्न खत्म हो जायेंगे, सदा नया उमंग, नया हुल्लास रहेगा। स्थिति एकरस और अचल रहेगी। स्लोगन:- किसी भी प्रकार की सेवा में सदा सन्तुष्ट रहना ही अच्छे मार्क्स लेना है। ओम् शांति ।