Wednesday, April 1, 2015

मुरली 01 अप्रैल 2015

“मीठे बच्चे - तुम पुरूषोत्तम संगमयुगी ब्राह्मण अभी ईश्वर की गोद में आये हो, तुम्हें मनुष्य से देवता बनना है तो दैवीगुण भी चाहिए” प्रश्न:- ब्राह्मण बच्चों को किस बात में अपनी बहुत-बहुत सम्भाल करनी है और क्यों? उत्तर:- सारे दिन की दिनचर्या में कोई भी पाप कर्म न हो इससे सम्भाल करनी है क्योंकि तुम्हारे सामने बाप धर्मराज के रूप में खड़ा है। चेक करो किसी को दु:ख तो नहीं दिया? श्रीमत पर कितना परसेन्ट चलते हैं? रावण मत पर तो नहीं चलते? क्योंकि बाप का बनने के बाद कोई विकर्म होता है तो एक का सौ गुणा हो जाता है। धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) देह-अभिमान में आकर आवाज से बात नहीं करनी है। इस आदत को मिटाना है। चोरी करना, झूठ बोलना...... यह सब पाप हैं, इनसे बचने के लिए देही-अभिमानी होकर रहना है। 2) मौत सामने है इसलिए बाप की श्रीमत पर चलकर पावन बनना है। बाप का बनने के बाद कोई भी बुरा कर्म नहीं करना है। सजाओं से बचने का पुरूषार्थ करना है। वरदान:- सम्पूर्ण आहुति द्वारा परिवर्तन समारोह मनाने वाले दृढ़ संकल्पधारी भव! जैसे कहावत है "धरत परिये धर्म न छोड़िये'', तो कोई भी सरकमस्टांश आ जाए, माया के महावीर रूप सामने आ जाएं लेकिन धारणायें न छूटे। संकल्प द्वारा त्याग की हुई बेकार वस्तुयें संकल्प में भी स्वीकार न हों। सदा अपने श्रेष्ठ स्वमान, श्रेष्ठ स्मृति और श्रेष्ठ जीवन के समर्थी स्वरूप द्वारा श्रेष्ठ पार्टधारी बन श्रेष्ठता का खेल करते रहो। कमजोरियों के सब खेल समाप्त हो जाएं। जब ऐसी सम्पूर्ण आहुति का संकल्प दृढ़ होगा तब परिवर्तन समारोह होगा। इस समारोह की डेट अब संगठित रूप में निश्चित करो। स्लोगन:- रीयल डायमण्ड बनकर अपने वायब्रेशन की चमक विश्व में फैलाओ। ओम् शांति ।