Monday, March 23, 2015

मुरली 24 मार्च 2015

“मीठे बच्चे - तुम अभी पुरानी दुनिया के गेट से निकलकर शान्तिधाम और सुखधाम में जा रहे हो, बाप ही मुक्ति-जीवनमुक्ति का रास्ता बताते हैं” प्रश्न:- वर्तमान समय सबसे अच्छा कर्म कौन सा है? उत्तर:- सबसे अच्छा कर्म है मन्सा, वाचा, कर्मणा अन्धों की लाठी बनना। तुम बच्चों को विचार सागर मंथन करना चाहिए कि ऐसा कौन-सा शब्द लिखें जो मनुष्यों को घर का (मुक्ति का) और जीवनमुक्ति का रास्ता मिल जाए। मनुष्य सहज समझ लें कि यहाँ शान्ति सुख की दुनिया में जाने का रास्ता बताया जाता है। धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) मन्सा-वाचा-कर्मणा कभी भी क्रोध नहीं करना है। इन तीनों खिड़कियों पर बहुत ध्यान रखना है। वाचा अधिक नहीं चलाना है। एक-दो को दु:ख नहीं देना है। 2) ज्ञान और योग में मस्त रह अन्तिम सीन सीनरी देखनी हैं। अपने वा दूसरों के नाम-रूप को भूल मैं आत्मा हूँ, इस स्मृति से देहभान को समाप्त करना है। वरदान:- अलबेलेपन की नींद को तलाक देने वाले निद्राजीत, चक्रवर्ती भव! साक्षात्कार मूर्त बन भक्तों को साक्षात्कार कराने के लिए अथवा चक्रवर्ती बनने के लिए निद्राजीत बनो। जब विनाशकाल भूलता है तब अलबेलेपन की नींद आती है। भक्तों की पुकार सुनो, दु:खी आत्माओं के दु:ख की पुकार सुनो, प्यासी आत्माओं के प्रार्थना की आवाज सुनो तो कभी भी अलबेलेपन की नींद नहीं आयेगी। तो अब सदा जागती ज्योत बन अलबेलेपन की नींद को तलाक दो और साक्षात्कार मूर्त बनो। स्लोगन:- तन-मन-धन, मन-वाणी-कर्म -किसी भी प्रकार से बाप के कर्तव्य में सहयोगी बनो तो सहजयोगी बन जायेंगे। ओम् शांति ।