Sunday, March 22, 2015

मुरली 22 मार्च 2015

ब्राह्मण जीवन की निशानी है - सदा खुशी की झलक वरदान:- श्रीमत से मनमत और जनमत की मिलावट को समाप्त करने वाले सच्चे स्व कल्याणी भव ! बाप ने बच्चों को सभी खजाने स्व कल्याण और विश्व कल्याण के प्रति दिए हैं लेकिन उन्हें व्यर्थ तरफ लगाना, अकल्याण के कार्य में लगाना, श्रीमत में मनमत और जनमत की मिलावट करना-यह अमानत में ख्यानत है। अब इस ख्यानत और मिलावट को समाप्त कर रूहानियत और रहम को धारण करो। अपने ऊपर और सर्व के ऊपर रहम कर स्व कल्याणी बनो। स्व को देखो, बाप को देखो औरों को नहीं देखो। स्लोगन:- सदा हर्षित वही रह सकते हैं जो कहीं भी आकर्षित नहीं होते हैं। ओम् शांति ।