Monday, March 16, 2015

मुरली 17 मार्च 2015

“मीठे बच्चे - यह अनादि अविनाशी बना बनाया ड्रामा है, इसमें जो सीन पास हुई, वह फिर कल्प के बाद ही रिपीट होगी, इसलिए सदा निश्चिंत रहो” प्रश् दुनिया अपनी तमोप्रधान स्टेज पर पहुँच गई है, उसकी निशानियाँ क्या हैं? उत्तर:- दिन-प्रतिदिन उपद्रव होते रहते हैं, कितनी घमसान हो रही है। चोर कैसे मार-पीट कर लूट ले जाते हैं। बिना मौसम बरसात पड़ती रहती है। कितना नुकसान हो जाता है। यह सब तमोप्रधानता के चिन्ह हैं। तमोप्रधान प्रकृति दु:ख देती रहती है। तुम बच्चे ड्रामा के राज को जानते हो इसलिए कहते हो नाथिंगन्यु। धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) सदा ध्यान रहे - हम ईश्वर के बच्चे हैं, हमें मोस्ट लवली होकर रहना है। आपस में कभी भी लूनपानी नहीं होना है। पहले अपने को सुधारना है फिर दूसरों को सुधारने की शिक्षा देनी है। 2) जैसे बाप में पवित्रता, सुख, प्रेम आदि सब गुण हैं, ऐसे बाप समान बनना है। ऐसा कोई कर्म नहीं करना है जो सतगुरू का निंदक बनें। अपनी चलन से बाप का नाम बाला करना है। वरदान:- स्नेह के वाण द्वारा स्नेह में घायल करने वाले स्नेह और प्राप्ति सम्पन्न लवलीन आत्मा भव! जैसे लौकिक रीति से कोई किसके स्नेह में लवलीन होता है तो चेहरे से, नयनों से, वाणी से अनुभव होता है कि यह लवलीन है-आशिक है-ऐसे जब स्टेज पर जाते हो तो जितना अपने अन्दर बाप का स्नेह इमर्ज होगा उतना ही स्नेह का वाण औरों को भी स्नेह में घायल कर देगा। भाषण की लिंक सोचना, प्वाइंट दुहराना-यह स्वरूप नहीं हो, स्नेह और प्राप्ति का सम्पन्न स्वरूप, लवलीन स्वरूप हो। अथॉरिटी होकर बोलने से उसका प्रभाव पड़ता है। स्लोगन:- सम्पूर्णता द्वारा समाप्ति के समय को समीप लाओ। ओम् शांति ।