Tuesday, March 3, 2015

मुरली 04 मार्च 2015

“मीठे बच्चे - तुम बाप के बच्चे मालिक हो, तुमने कोई बाप के पास शरण नहीं ली है, बच्चा कभी बाप की शरण में नहीं जाता” प्रश्न:- किस बात का सदा सिमरण होता रहे तो माया तंग नहीं करेगी? उत्तर:- हम बाप के पास आये हैं, वह हमारा बाबा भी है, शिक्षक भी है, सतगुरू भी है परन्तु है निराकार । हम निराकारी आत्माओं को पढ़ाने वाला निराकार बाबा है, यह बुद्धि में सिमरण रहे तो खुशी का पारा चढ़ा रहेगा फिर माया तंग नहीं करेगी । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. बाइसकोप (सिनेमा) हेल में जाने का रास्ता है, इसलिए बाइसकोप नहीं देखना है । याद की यात्रा से पावन बन ऊंच पद लेना है, इस पुरानी दुनिया से दिल नहीं लगानी है । 2. मन्सा-वाचा-कर्मणा कोई को भी दुःख नहीं देना है । सबके कानों में मीठी-मीठी बातें सुनानी है, सबको बाप की याद दिलानी है । बुद्धियोग एक बाप से जुड़ाना है । वरदान:- किसी भी विकराल समस्या को शीतल बनाने वाले सम्पूर्ण निश्चयबुद्धि भव ! जैसे बाप में निश्चय है वैसे स्वयं में और ड्रामा में भी समूर्ण निश्चय हो । स्वयं में यदि कमजोरी का संकल्प उत्पन्न होता है तो कमजोरी के संस्कार बन जाते हैं, इसलिए व्यर्थ संकल्प रूपी कमजोरी के जर्मस अपने अन्दर प्रवेश होने नहीं देना । साथ-साथ जो भी ड्रामा की सीन देखते हो, हलचल की सीन में भी कल्याण का अनुभव हो, वातावरण हिलाने वाला हो, समस्या विकराल हो लेकिन सदा निश्चयबद्धि विजयी बनो तो विकराल समस्या भी शीतल हो जायेगी । स्लोगन:- जिसका बाप और सेवा से प्यार है उसे परिवार का प्यार स्वतःमिलता है । ओम् शान्ति |