Sunday, January 4, 2015

Murli-5/1/2015-Hindi

मुरली 05 जनवरी 2015 “मीठे बच्चे - इस पुरानी दुनिया में कोई भी सार नहीं है, इसलिए तुम्हें इससे दिल नहीं लगानी है, बाप की याद टूटी तो सजा खानी पड़ेगी”    प्रश्न:-    बाप का मुख्य डायरेक्शन क्या है? उसका उल्लंघन क्यों होता है? उत्तर:- बाप का डायरेक्शन है किसी से सेवा मत लो क्योंकि तुम खुद सर्वेंट हो । परन्तु देह- अभिमान के कारण बाप के इस डायरेक्शन का उल्लंघन करते हैं । बाबा कहते तुम यहाँ सुख लेंगे तो वहाँ का सुख कम हो जायेगा । कई बच्चे कहते हैं हम तो इन्डिपेन्डेट रहेंगे परन्तु तुम सब बाप पर डिपेन्ड करते हो । गीत:-    दिल का सहारा टूट न जाए.. धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. अगर एक बार कोई भूल हुई तो उसी समय कान पकड़ना है, दुबारा वह भूल न हो । कभी भी देह अहंकार में नहीं आना है । ज्ञान में प्रवीण बन अन्तर्मुखी रहना है ।  2. सच्चा पिताव्रता बनना है, जीते जी बलि चढ़ना है । किसी से भी दिल नहीं लगानी है । बेसमझी का कोई भी काम नहीं करना है ।   वरदान:- स्वयं के प्रति इच्छा मात्रम् अविद्या बन बाप समान अखण्डदानी, परोपकारी भव !    जैसे ब्रह्मा बाप ने स्वयं का समय भी सेवा में दिया, स्वयं निर्मान बन बच्चों को मान दिया, काम के नाम की प्राप्ति का भी त्याग किया । नाम, मान, शान सबमें परोपकारी बनें, अपना त्याग कर दूसरों का नाम किया, स्वयं को सदा सेवाधारी रखा, बच्चों को मालिक बनाया । स्वयं का सुख बच्चों के सुख में समझा । ऐसे बाप समान इच्छा मात्रम् अविद्या अर्थात् मस्त फकीर बन अखण्डदानी परोपकारी बनो तो विश्व कल्याण के कार्य में तीव्रगति आ जायेगी । केस और किस्से समाप्त हो जायेंगे ।   स्लोगन:-  ज्ञान, गुण और धारणा में सिन्धू बनो, स्मृति में बिन्दू बनो ।      अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए विशेष होमवर्क कोई भी कर्म करो, बोल बोलो वा संकल्प करो तो पहले चेक करो कि यह ब्रह्मा बाप समान है! ब्रह्मा बाप की विशेषता विशेष यही रही- जो सोचा वो किया, जो कहा वो किया । ऐसे फालो फादर | अपने स्वमान की स्मृति से, बाप के साथ की समर्थी से, दृढ़ता और निश्चय की शक्ति से श्रेष्ठ पोजीशन पर रह आपोजीशन को समाप्त कर देना ओम् शांति |