Monday, January 12, 2015
Murli-13/1/2015-Hindi
13-01-15 प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हें अपने योगबल से ही विकर्म विनाश कर पावन बन पावन दुनिया बनानी है, यही तुम्हारी सेवा है”
प्रश्न:-
देवी-देवता धर्म की कौन- सी विशेषता गाई हुई है?
उत्तर:-
देवी-देवता धर्म ही बहुत सुख देने वाला है । वहाँ दु :ख का नाम-निशान नहीं । तुम बच्चे 3/4 सुख पाते हो । अगर आधा सुख, आधा दु :ख हो तो मजा ही न आये ।
ओम् शान्ति |
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. बाप समान प्यार का सागर बनना है । कभी किसी को दु :ख नहीं देना है । कडुवे बोल नहीं बोलने हैं । गन्दी आदतें मिटा देनी हैं ।
2. बाबा से मीठी-मीठी बातें करते इसी फीलिंग में रहना है कि ओहो बाबा, आपने हमें क्या से क्या बना दिया! आपने हमें कितना सुख दिया है! बाबा, आप क्षीर सागर में ले चलते हो....... सारा दिन बाबा- बाबा याद रहे ।
वरदान:-
मास्टर रचयिता की स्टेज द्वारा आपदाओं में भी मनोरंजन का अनुभव करने वाले सम्पूर्ण योगी भव!
मास्टर रचयिता की स्टेज पर स्थित रहने से बड़े से बड़ी आपदा एक मनोरंजन का दृश्य अनुभव होगी । जैसे महाविनाश की आपदा को भी स्वर्ग के गेट खुलने का साधन बताते हो, ऐसे किसी भी प्रकार की छोटी बड़ी समस्या व आपदा मनोरंजन का रूप दिखाई दे, हाय-हाय के बजाए ओहो शब्द निकले- दु :ख भी सुख के रूप में अनुभव हो । दु :ख-सुख की नॉलेज होते हुए भी उसके प्रभाव में न आयें, दु :ख को भी बलिहारी सुख के दिन आने की समझें-तब कहेंगे सम्पूर्ण योगी ।
स्लोगन:-
दिलतख्त को छोड़ साधारण संकल्प करना अर्थात् धरनी में पांव रखना ।