Sunday, January 11, 2015

Murli-12/1/2015-Hindi

मुरली 12 जनवरी 2015  “मीठे बच्चे - तुम्हें विकर्मों की सजा से मुक्त होने का पुरूषार्थ करना है, इस अन्तिम जन्म में सब हिसाब-किताब चुक्तू कर पावन बनना है”    प्रश्न:-    धोखेबाज माया कौन-सी प्रतिज्ञा तुड़वाने की कोशिश करती है? उत्तर:- तुमने प्रतिज्ञा की है - कोई भी देहधारी से हम दिल नहीं लगायेंगे । आत्मा कहती है हम एक बाप को ही याद करेंगे, अपनी देह को भी याद नहीं करेंगे । बाप, देह सहित सबका सन्यास कराते हैं । परन्तु माया यही प्रतिज्ञा तुड़वाती है । देह में लगाव हो जाता है । जो प्रतिज्ञा तोड़ते हैं उन्हें सजायें भी बहुत खानी पड़ती है । गीत:-    तुम्हीं हो माता-पिता तुम्हीं हो धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. कर्मातीत बनने के लिए बाप को महीन बुद्धि से पहचान कर यथार्थ याद करना है । पढ़ाई के साथ- साथ योग पर पूरा अटेंशन देना है ।  2. स्वयं को माया के धोखे से बचाना है । कोई की भी देह में लगाव नहीं रखना है । सच्ची प्रीत एक बाप से रखनी है । देह- अभिमान में नहीं आना है । वरदान:- बन्धनों के पिंजड़े को तोड़कर जीवनमुक्त स्थिति का अनुभव करने वाले सच्चे ट्रस्टी भव !    शरीर का वा सम्बन्ध का बन्धन ही पिंजड़ा है । फर्जअदाई भी निमित्त मात्र निभानी है, लगाव से नहीं तब कहेंगे निर्बन्धन । जो ट्रस्टी बनकर चलते हैं वही निर्बन्धन हैं यदि कोई भी मेरापन है तो पिंजड़े में बंद हैं । अभी पिंजड़े की मैना से फरिश्ते बन गये इसलिए कहाँ जरा भी बंधन न हो । मन का भी बंधन नहीं । क्या करूं, कैसे करूं, चाहता हूँ होता नहीं-यह भी मन का बंधन है । जब मरजीवा बन गये तो सब प्रकार के बंधन समाप्त, सदा जीवनमुक्त स्थिति का अनुभव होता रहे । स्लोगन:-  संकल्पों को बचाओ तो समय, बोल सब स्वत: बच जायेंगे ।      अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए विशेष होमवर्क सम्पूर्ण फरिश्ता वा अव्यक्त फरिश्ता की डिग्री लेने के लिए सर्व गुणों में फुल बनो। नॉलेजकुल के साथ-साथ फेथफुल, पावरफुल, सक्सेसफुल बनो । अभी नाजुक समय में नाजों से चलना छोड़ विकर्मों और व्यर्थ कर्मों को अपने विकराल रूप (शक्ति रूप) से समाप्त करो।   ओम् शांति |