Friday, January 9, 2015

Murli-10/1/2015-Hindi

सार:- “मीठे बच्चे - निराकार बाप तुम्हें अपनी मत देकर आस्तिक बनाते हैं, आस्तिक बनने से ही तुम बाप का वर्सा ले सकते हो” प्रश्न:- बेहद की राजाई प्राप्त करने के लिए किन दो बातों पर पूरा-पूरा अटेंशन देना चाहिए? उत्तर:- 1- पढ़ाई और 2- सर्विस । सर्विस के लिए लक्षण भी बहुत अच्छे चाहिए । यह पढ़ाई बहुत वन्डरफुल है इससे तुम सजाई प्राप्त करते हो । द्वापर से धन दान करने से राजाई मिलती है लेकिन अभी तुम पढ़ाई से प्रिन्स- प्रिन्सेज बनते हो । गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं.. धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. ज्ञान को जीवन में धारण कर फिर सर्विस करनी है | जो जास्ती सर्विस करते हैं, अच्छे लक्षण हैं उनका रिगॉर्ड भी जरूर रखना है । 2. कर्म करते याद में रहने की आदत डालनी है । सर्विस की सफलता के लिए अपनी अवस्था देही- अभिमानी बनानी है । दिल साफ रखनी है । वरदान:- साथी और साक्षीपन के अनुभव द्वारा सदा सफलतामूर्त भव ! जो बच्चे सदा बाप के साथ रहते हैं वह साक्षी स्वत : बन जाते हैं क्योंकि बाप स्वयं साक्षी होकर पार्ट बजाते हैं तो उनके साथ रहने वाले भी साक्षी होकर पार्ट बजायेंगे और जिनका साथी स्वयं सर्वशक्तिमान् बाप है वे सफलता मूर्त भी स्वत: बन ही जाते हैं । भक्ति मार्ग में तो पुकारते हैं कि थोड़े समय के साथ का अनुभव करा दो, झलक दिखा दो लेकिन आप सर्व सम्बन्धों से साथी हो गये-तो इसी खुशी और नशे में रहो कि पाना था सो पा लिया । स्लोगन:- व्यर्थ संकल्पों की निशानी है-मन उदास और खुशी गायब ।