Wednesday, January 28, 2015

मुरली 29 जनवरी 2015

“मीठे बच्चे - यह अनादि बना-बनाया ड्रामा है, यह बहुत अच्छा बना हुआ है, इसके पास्ट, प्रेजेंट और फ्यूचर को तुम बच्चे अच्छी तरह जानते हो”    प्रश्न:-    किस कशिश के आधार पर सभी आत्मायें तुम्हारे पास खींचती हुई आयेंगी? उत्तर:- पवित्रता और योग की कशिश के आधार पर । इसी से ही तुम्हारी वृद्धि होती जायेगी । आगे चलकर बाप को फट से जान जायेंगे । देखेंगे इतने ढेर सब वर्सा ले रहे हैं तो बहुत आयेंगे । जितनी देरी होगी उतनी तुम्हारे में कशिश होती जायेगी धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. विजय माला का दाना बनने के लिए बहुत अच्छा पुरुषार्थ करना है, बहुत मीठा बनना है, श्रीमत पर चलना है । 2. योग ही सेफ्टी के लिए ढाल है इसलिए योगबल जमा करना है । देही- अभिमानी बनने की पूरी कोशिश करनी है । वरदान:- नाउम्मीदी की चिता पर बैठी हुई आत्माओं को नये जीवन का दान देने वाले त्रिमूर्ति प्राप्तियों से सम्पन्न भव !    संगमयुग पर बाप द्वारा सभी बच्चों को एवरहेल्दी, वेल्दी और हैप्पी रहने का त्रिमूर्ति वरदान प्राप्त होता है जो बच्चे इन तीनों प्राप्तियों से सदा सम्पन्न रहते हैं उनका खुशनसीब, हर्षितमुख चेहरा देखकर मानव जीवन में जीने का उमंग-उत्साह आ जाता है क्योंकि अभी मनुष्य जिंदा होते भी नाउम्मीदी की चिता पर बैठे हुए हैं । अब ऐसी आत्माओं को मरजीवा बनाओ । नये जीवन का दान दो । सदा स्मृति में रहे कि यह तीनों प्राप्तियाँ हमारा जन्म सिद्ध अधिकार हैं । तीनों ही धारणाओं के लिए डबल अंडरलाइन लगाओ । स्लोगन:-  न्यारे और अधिकारी होकर कर्म में आना-यही बन्धनमुक्त स्थिति है ।      अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए विशेष होमवर्क मन की एकाग्रता ही एकरस स्थिति का अनुभव करायेगी । एकाग्रता की शक्ति हारा अव्यक्त फरिश्ता स्थिति का सहज अनुभव कर सकेंगे । एकाग्रता अर्थात् मन को जहाँ चाहो, जैसे चाहो, जितना समय चाहो उतना समय एकाग्र कर लो । मन वश में हो ।   ओम् शांति |