Tuesday, January 27, 2015

मुरली 28 जनवरी 2015

सार:- “मीठे बच्चे - सवेरे-सवेरे उठ बाप से मीठी रूहरिहान करोबाप ने जो शिक्षायें दी हैं उन्हें उगारते रहो
प्रश्न:- सारा दिन खुशी-खुशी में बीतेउसके लिए कौन-सी युक्ति रचनी चाहिए?
उत्तर:- रोज़ अमृतवेले उठकर ज्ञान की बातों में रमण करो । अपने आपसे बातें करो । सारे ड्रामा के आदि- मध्य- अन्त का सिमरण करोबाप को याद करो तो सारा दिन खुशी में बीतेगा । स्टूडेंट अपनी पढ़ाई की रिहर्सल करते हैं । तुम बच्चे भी अपनी रिहर्सल करो ।
गीत:- आज अन्धेरे में है इंसान..
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है । ऐसा कोई कर्म न हो जिससे बापटीचर और सतगुरू की निंदा हो । इज्जत गँवाने वाला कोई कर्म नहीं करना है ।
2. विचार सागर मंथन करने की आदत डालनी है । बाप से जो ज्ञान मिला है उसका सिमरण कर अपार खुशी में रहना है । किसी से भी घृणा नहीं करनी है ।
वरदान:- नीरस वातावरण में खुशी की झलक का अनुभव कराने वाले एवरहैप्पी भव !
एवरहैप्पी अर्थात् सदा खुश रहने का वरदान जिन बच्चों को प्राप्त है वह दुख की लहर उत्पन्न करने वाले वातावरण मेंनीरस वातावरण मेंअप्राप्ति का अनुभव कराने वाले वातावरण में सदा खुश रहेंगे और अपनी खुशी की झलक से दुख और उदासी के वातावरण को ऐसे परिवर्तन करेंगे जैसे सूर्य अंधकार को परिवर्तन कर देता है । अंधकार के बीच रोशनी करनाअशान्ति के अन्दर शान्ति लानानीरस वातावरण में खुशी की झलक लाना इसको कहा जाता है एवरहैप्पी । वर्तमान समय इसी सेवा की आवश्यकता है ।
स्लोगन:-  अशरीरी वह है जिसे शरीर की कोई भी आकर्षण अपनी तरफ आकर्षित न करे ।