Tuesday, January 20, 2015

मुरली 21 जनवरी 2015

सार:- “मीठे बच्चे - पतित से पावन बनाने वाले बाप के साथ तुम्हारा बहुत-बहुत लव होना चाहिए, सवेरे-सवेरे उठकर पहले-पहले कहो शिववाबा गुडमॉर्निंग” प्रश्न:- एक्यूरेट याद के लिए कौन सी धारणायें चाहिए? एक्यूरेट याद वाले की निशानी क्या होगी? उत्तर:- एक्यूरेट याद के लिए धैर्यता, गम्भीरता और समझ चाहिए । इस धारणा के आधार से जो याद करते हैं उनकी याद, याद से मिलती है और बाप की करेन्ट आने लगती है । उस करेन्ट से आयु बढ़ेगी, हेल्दी बनते जायेंगे । दिल एकदम ठर जायेगी (शीतल हो जायेगी), आत्मा सतोप्रधान बनती जायेगी । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. अपनी झोली ज्ञान रत्नों से भरकर फिर दान भी करना है । जो दान करते हैं वो सबको प्यारे लगते हैं, उन्हें अपार खुशी रहती है । 2. प्राणदान देने वाले बाप को बहुत प्यार से याद करते सबको शान्ति का दान देना है । स्वदर्शन चक्र फिराते ज्ञान का सागर बनना है । वरदान:- ज्ञान कलष धारण कर प्यासों की प्यास बुझाने वाले अमृत कलषधारी भव ! अभी मैजारिटी आत्मायें प्रकृति के अल्पकाल के साधनों से, आत्मिक शान्ति प्राप्त करने के लिए बने हुए अल्पज्ञ स्थानों से, परमात्म मिलन मनाने के ठेकेदारों से थक गये हैं, निराश हो गये हैं, समझते हैं सत्य कुछ और है, प्राप्ति के प्यासे हैं । ऐसी प्यासी आत्माओं को आत्मिक परिचय, परमात्म परिचय की यथार्थ बूँद भी तृप्त आत्मा बना देगी इसलिए ज्ञान कलष धारण कर प्यासों की प्यास बुझाओ । अमृत कलष सदा साथ रहे । अमर बनो और अमर बनाओ । स्लोगन:- एडॅजेस्ट होने की कला को लक्ष्य बना लो तो सहज सम्पूर्ण बन जायेंगे । Om Shanti