Thursday, January 15, 2015

मुरली 16 जनवरी 2015

मुरली 16 जनवरी 2015 “मीठे बच्चे - बाप की श्रीमत तुम्हें 21 पीढ़ी का सुख दे देती है, इतनी न्यारी मत बाप के सिवाए कोई दे नहीं सकता, तुम श्रीमत पर चलते रहो” प्रश्न:- अपने आपको राजतिलक देने का सहज पुरूषार्थ क्या है? उत्तर:- 1. अपने आपको राज-तिलक देने के लिए बाप की जो शिक्षायें मिलती हैं उन पर अच्छी रीति चलो । इसमें आशीर्वाद वा कृपा की बात नहीं । 2. फालो फादर करो, दूसरे को नहीं देखना है, मन्मनाभव, इससे अपने को आपेही तिलक मिलता है । पढ़ाई और याद की यात्रा से ही तुम बेगर टू प्रिन्स बनते हो । गीत:- ओम नमो शिवाए .. धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. अविनाशी ज्ञान धन का दान कर महादानी बनना है । जैसे ब्रह्मा बाप ने अपना सब कुछ इसमें लगा दिया, ऐसे फालो फादर कर राजाई में ऊंच पद लेना है । 2. सजाओं से बचने के लिए ऐसा योग कमाना है जो कर्मातीत अवस्था को पा लें । पास विद् ऑनर बनने का पूरा-पूरा पुरूषार्थ करना है । दूसरों को नहीं देखना है । वरदान:- याद के जादू मन्त्र द्वारा सर्व सिद्धियां प्राप्त करने बाले सिद्धि स्वरूप भव ! बाप की याद ही जादू का मन्त्र है, इस जादू के मन्त्र द्वारा जो सिद्धि चाहो वह प्राप्त कर सकते हो । जैसे स्थूल में भी किसी कार्य की सद्धि के लिए मन्त्र जपते हैं, ऐसे यहाँ भी अगर किसी कार्य में सिद्धि चाहिए तो यह याद का महामन्त्र ही विधि स्वरूप है । यह जादू मन्त्र सेकण्ड में परिवर्तन कर देता है । इसे सदा स्मृति में रखो तो सदा सिद्धि स्वरूप बन जायेंगे । क्योंकि याद में रहना बड़ी बात नहीं है, सदा याद में रहना-यही बड़ी बात है, इसी से सर्व सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं । स्लोगन:- सेकण्ड में विस्तार को सार रूप में समा लेना अर्थात् अन्तिम सर्टीफिकेट लेना । अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए विशेष होमवर्क बीच-बीच में संकल्पों की ट्रैफिक को स्टॉप करने का अभ्यास करो । एक मिनट के लिए संकल्पों को, चाहे शरीर द्वारा चलते हुए कर्म को रोककर बिन्दु रुप की प्रैक्टिस करो । यह एक सेकेण्ड का भी अनुभव सारा दिन अव्यक्त रिथति बनाने में मदद करेगा । ओम् शांति |