Monday, November 17, 2014

Murli-18/11/2014-Hindi

सार:- “मीठे बच्चे - यदि शिवबाबा का कदर है तो उनकी श्रीमत पर चलते रहो, श्रीमत पर चलना माना बाप का कदर करना”   प्रश्न:-   बच्चे बाप से भी बड़े जादूगर हैं - कैसे? उत्तर:- ऊंचे से ऊंचे बाप को अपना बच्चा बना देना, तन-मन- धन से बाप को वारिस बनाकर वारी जाना-यह बच्चों की जादूगरी है । जो अभी भगवान को वारिस बनाते हैं वह 21 जन्मों के लिए वर्से के अधिकारी बन जाते हैं । प्रश्न:-   ट्रिब्युनल किन बच्चों के लिए बैठती है? उत्तर:- जो दान की हुई चीज को वापस लेने का संकल्प करते, माया के वश हो डिससर्विस करते हैं उन्हीं के लिए ट्रिब्युनल बैठती हैं । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. अविनाशी ज्ञान रत्नों से बुद्धि रूपी झोली भरकर मालामाल बनना है । किसी भी प्रकार का अहंकार नहीं दिखाना है । 2. सर्विस लायक बनकर फिर कभी ट्रेटर बन डिससर्विस नहीं करनी है । दान देने के बाद बहुत-बहुत खबरदार रहना है, कभी वापस लेने का ख्याल न आये । वरदान:- सब कुछ तेरा-तेरा कर मेरे पन के अंश मात्र को भी समाप्त करने वाले डबल लाइट भव ! किसी भी प्रकार का मेरापन - मेरा स्वभाव, मेरा संस्कार, मेरी नेचर.... कुछ भी मेरा है तो बोझ है और बोझ वाला उड़ नहीं सकता । यह मेरा-मेरा ही मैला बनाने वाला है इसलिए अब तेरा-तेरा कह स्वच्छ बनो । फरिश्ता माना ही मेरेपन का अंशमात्र नहीं । संकल्प में भी मेरेपन का भान आये तो समझो मैला हुआ । तो इस मैलेपन के बोझ को समाप्त कर, डबल लाइट बनो. स्लोगन:-  जहान के नूर वह हैं जो बापदादा को अपने नयनों में समाने वाले हैं । OM SHANTI