Wednesday, November 12, 2014
Murli-12/11/2014-Hindi
12-11-14 प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन
“मीठे बच्चे - बाप की श्रीमत पर चलना ही बाप का रिगार्ड रखना है, मनमत पर चलने वाले डिसरिगार्ड करते हैं”
प्रश्न:-
गृहस्थ व्यवहार में रहने वालों को किस एक बात के लिए बाबा मना नहीं करते लेकिन एक डायरेक्शन देते हैं - वह कौन सा?
उत्तर:-
बाबा कहते - बच्चे, तुम भल सभी के कनेक्शन में आओ, कोई भी नौकरी आदि करो, सम्पर्क में आना पड़ता है, रंगीन कपड़े पहनने पड़ते हैं तो पहनो, बाबा की मना नहीं है । बाप तो सिर्फ डायरेक्शन देते हैं - बच्चे, देह सहित देह के सब सम्बन्धों से ममत्व निकाल मुझे याद करो ।
ओम् शान्ति |
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. कभी भी याहुसैन नहीं मचाना है । बुद्धि में रहे हम विश्व का मालिक बनने वाले हैं, हमारी चलन,वार्तालाप बहुत अच्छा होना चाहिए । कभी भी रोना नहीं है ।
2. निश्चयबुद्धि बन एक बाप की मत पर चलते रहना है, कभी मूँझना वा घुटका नहीं खाना है । निश्चय में ही विजय है, इसलिए अपनी पाई-पैसे की मत नहीं चलानी है ।
वरदान:-
अटल निश्चय द्वारा सहज विजय का अनुभव करने वाले सदा हर्षित, निश्चिंत भव !
निश्चय की निशानी है सहज विजय । लेकिन निश्चय सब बातों में चाहिए । सिर्फ बाप में निश्चय नहीं,अपने आप में, ब्राह्मण परिवार में और ड्रामा के हर दृश्य में सम्पूर्ण निश्चय हो, थोड़ी सी बात में निश्चय टलने वाला न हो । सदा यह स्मृति रहे कि विजय की भावी टल नहीं सकती, ऐसे निश्चयबुद्धि बच्चे, क्या हुआ, क्यों हुआ इन सब प्रश्नों से भी पार सदा निश्चिंत, सदा हर्षित रहते हैं ।
स्लोगन:-
समय को नष्ट करने के बजाए फौरन निर्णय कर फैंसला करो ।
ओम् शान्ति |
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