Sunday, November 9, 2014

Murli-10/11/2014-Hindi

Murli 10 th November 2014 सार:- मीठे बच्चे - “तुम्हें अब टीचर बन सबको मन वशीकरण मन्त्र सुनाना है, यह तुम सब बच्चों की ड्यूटी है"   प्रश्न:- बाबा किन बच्चों का कुछ भी स्वीकार नहीं करते हैं? उत्तर:- जिन्हें अहंकार है मैं इतना देता हूँ, मैं इतनी मदद कर सकता हूँ, बाबा उनका कुछ भी स्वीकार नहीं करते । बाबा कहते मेरे हाथ में चाबी है । चाहे तो मैं किसी को गरीब बनाऊं, चाहे किसको साहूकार बनाऊं । यह भी ड्रामा में राज है । जिन्हें आज अपनी साहूकारी का घमण्ड है वह कल गरीब बन जाते और गरीब बच्चे बाप के कार्य में अपनी पाई-पाई सफल कर साहूकार बन जाते हैं । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. ज्ञान का खूब विचार सागर मंथन करना है । जो सुना है उसे उगारना है । अन्तर्मुख हो देखना है कि बाप से ऐसी दिल लगी हुई है जो वह कभी भूले ही नहीं । 2. कोई भी प्रश्न आदि पूछने में अपना टाइम वेस्ट न कर याद की यात्रा से स्वयं को पावन बनाना है । अन्त समय में एक बाप की याद के सिवाए और कोई भी विचार न आये-यह अभ्यास अभी से करना है । वरदान:- बाप समान रहमदिल बन सबको क्षमा कर स्नेह देने वाले मास्टर दाता भव ! जैसे बाप को रहमदिल, मर्सीफुल कहते हैं, ऐसे आप बच्चे भी मास्टर रहमदिल हो । जो रहमदिल हैं वही कल्याण कर सकते हैं, अकल्याण करने वाले को भी क्षमा कर सकते हैं । वह मास्टर स्नेह के सागर होते हैं, उनके पास स्नेह के बिना और कुछ है ही नहीं । वर्तमान समय सम्पत्ति से भी ज्यादा स्नेह की आवश्यकता हैं इसलिए मास्टर दाता बन सबको स्नेह देते चलो । कोई भी खाली हाथ न जाये । स्लोगन:-  तीव्र पुरुषार्थी बनने की चाहना हो तो जहाँ चाह है वहाँ राह मिल जायेगी । OM SHANTI