Wednesday, October 1, 2014

Murli-(26-09-2014)-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हारा काम है अपने आपसे बातें कर पावन बनना, दूसरी आत्माओं 
के चिंतन में अपना टाइम वेस्ट मत करो'' 

प्रश्न:- कौन-सी बात बुद्धि में आ गई तो पुरानी सब आदतें छूट जायेंगी? 
उत्तर:- हम बेहद बाप की सन्तान हैं तो विश्व के मालिक ठहरे, हमें देवता बनना है-यह बात बुद्धि 
में आ गई तो पुरानी सब आदतें छूट जायेंगी। तुम कहो, न कहो, आपेही छोड़ देंगे। उल्टा-सुल्टा 
खान-पान, शराब आदि खुद ही छोड़ देंगे। कहेंगे वाह! हमको तो यह लक्ष्मी-नारायण बनना है। 
21 जन्मों का राज्य-भाग्य मिलता है तो क्यों नहीं पवित्र रहेंगे! 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) अपनी उन्नति का ही चिंतन करना है। दूसरी किसी भी बात में नहीं जाना है। पढ़ाई और 
याद पर पूरा अटेन्शन देना है। बुद्धि भटकानी नहीं है। 

2) अब बाप डायरेक्ट आये हैं इसलिए अपना सब-कुछ युक्ति से ट्रासंफर कर देना है। पतित 
आत्माओं से लेन-देन नहीं करना है। विद् ऑनर स्वर्ग में चलने के लिए पवित्र जरूर बनना है। 

वरदान:- अनादि स्वरूप की स्मृति द्वारा सन्तुष्टता का अनुभव करने और कराने वाले सन्तुष्टमणी भव
 
अपने अनादि और आदि स्वरूप को स्मृति में लाओ और उसी स्मृति स्वरूप में स्थित हो जाओ 
तो स्वयं भी स्वयं से सन्तुष्ट रहेंगे और औरों को भी सन्तुष्टता की विशेषता का अनुभव करा सकेंगे। 
असन्तुष्टता का कारण होता है अप्राप्ति। आपका स्लोगन है - पाना था वो पा लिया। बाप का बनना 
अर्थात् वर्से का अधिकारी बनना, ऐसी अधिकारी आत्मायें सदा भरपूर, सन्तुष्टमणी होंगी। 

स्लोगन:- बाप समान बनने के लिए - समझना, चाहना और करना इन तीनों की समानता हो।