मीठे बच्चे - तुम मात-पिता के सम्मुख आये हो, अपार सुख पाने, बाप तुम्हें
घनेरे दु:खों से निकाल घनेरे सुखों में ले जाते हैं''
प्रश्न:- एक बाप ही रिजर्व में रहते, पुनर्जन्म नहीं लेते हैं - क्यों?
उत्तर:- क्योंकि कोई तो तुम्हें तमोप्रधान से सतोप्रधान बनाने वाला चाहिए।
अगर बाप भी पुनर्जन्म में आये तो तुमको काले से गोरा कौन बनाये इसलिए
बाप रिजर्व में रहता है।
प्रश्न:- देवतायें सदा सुखी क्यों हैं?
उत्तर:- क्योंकि पवित्र हैं, पवित्रता के कारण उनकी चलन सुधरी हुई है। जहाँ
पवित्रता है वहाँ सुख-शान्ति है। मुख्य है पवित्रता।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जैसे बाप परफेक्ट है - ऐसे स्वयं को परफेक्ट बनाना है। पवित्रता को धारण
कर अपनी चलन सुधारनी है, सच्चे सुख-शान्ति का अनुभव करना है।
2) सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान बुद्धि में रख ब्राह्मण सो देवता बनाने की
सेवा करनी है। अपने ऊंचे भाग्य को कभी भूलना नहीं है।
वरदान:- निराकार और साकार दोनों रूपों के यादगार को विधिपूर्वक मनाने
वाली श्रेष्ठ आत्मा भव
दीपमाला अविनाशी अनेक जगे हुए दीपकों का यादगार है। आप चमकती हुई
आत्मायें दीपक की लौ मिसल दिखाई देती हो इसलिए चमकती हुई आत्मायें
दिव्य ज्योति का यादगार स्थूल दीपक की ज्योति में दिखाया है तो एक तरफ
निराकारी आत्मा के रूप का यादगार है, दूसरी तरफ आपके ही भविष्य साकार
दिव्य स्वरूप लक्ष्मी के रूप में यादगार है। यही दीपमाला देव-पद प्राप्त करती है।
तो आप श्रेष्ठ आत्मायें अपना यादगार स्वयं ही मना रहे हो।
स्लोगन:- निगेटिव को पॉजिटिव में चेंज करने के लिए अपनी भावनाओं को शुभ
और बेहद की बनाओ।