Sunday, September 7, 2014

Murli-(7-09-2014)-Hindi

07-09-14 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ``अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:12-12-78 मधुबन 
परोपकारी कैसे बनें? 


वरदान:- बाप को साथ रखते हुए पवित्रता रूपी स्वधर्म को सहज पालन करने वाले मा. 
सर्वशक्तिवान भव 

आत्मा का स्वधर्म पवित्रता है, अपवित्रता परधर्म है। जब स्वधर्म का निश्चय हो गया तो 
परधर्म हिला नहीं सकता। बाप जो है जैसा है, अगर उसे यथार्थ पहचान कर साथ रखते 
हो तो पवित्रता रूपी स्वधर्म को धारण करना बहुत सहज है, क्योंकि साथी सर्वशक्तिमान 
है। सर्वशक्तिमान के बच्चे मास्टर सर्वशक्तिमान के आगे अपवित्रता आ नहीं सकती। 
अगर संकल्प में भी माया आती है तो जरूर कोई गेट खुला है अथवा निश्चय में कमी है।
 
स्लोगन:- त्रिकालदर्शी किसी भी बात को एक काल की दृष्टि से नहीं देखते, हर बात में 
कल्याण समझते हैं।