मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - याद की मेहनत तुम सबको करनी है, तुम अपने को आत्मा समझ
प्रश्न:- सर्व की सद्गति का स्थान कौन-सा है, जिसके महत्व का सारी दुनिया को पता चलेगा?
उत्तर:- आबू भूमि है सबकी सद्गति का स्थान। तुम ब्रह्माकुमारीज़ के सामने ब्रैकेट में लिख सकते
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अब पिछाड़ी का समय है, वापस घर चलना है इसलिए अपनी बुद्धि नाम-रूप से निकाल देनी
2) हर एक की अवस्था और योग में रात-दिन का फर्क है इसलिए अलग-अलग होकर बैठना है।
वरदान:- बाप के फरमान पर बुद्धि को खाली रखने वाले व्यर्थ वा विकारी स्वप्नों से भी मुक्त भव
बाप का फरमान है कि सोते समय सदा अपने बुद्धि को क्लीयर करो, चाहे अच्छा, चाहे बुरा सब
स्लोगन:- तकदीरवान आत्मायें ही सच्ची सेवा द्वारा सर्व की आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
मुझ बाप को याद करो तो मैं तुम्हें सब पापों से मुक्त कर दूँगा''
प्रश्न:- सर्व की सद्गति का स्थान कौन-सा है, जिसके महत्व का सारी दुनिया को पता चलेगा?
उत्तर:- आबू भूमि है सबकी सद्गति का स्थान। तुम ब्रह्माकुमारीज़ के सामने ब्रैकेट में लिख सकते
हो यह सर्वोत्तम तीर्थ स्थान है। सारे दुनिया की सद्गति यहाँ से होनी है। सर्व का सद्गति दाता बाप
और आदम (ब्रह्मा) यहाँ पर बैठकर सबकी सद्गति करते हैं। आदम अर्थात् आदमी, वह देवता
नहीं है। उसे भगवान् भी नहीं कह सकते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अब पिछाड़ी का समय है, वापस घर चलना है इसलिए अपनी बुद्धि नाम-रूप से निकाल देनी
है। हम आत्मा भाई-भाई हैं - यह अभ्यास करना है। देह-अभिमान में नहीं आना है।
2) हर एक की अवस्था और योग में रात-दिन का फर्क है इसलिए अलग-अलग होकर बैठना है।
अंग, अंग से न लगे। पुण्य आत्मा बनने के लिए याद की मेहनत करनी है।
वरदान:- बाप के फरमान पर बुद्धि को खाली रखने वाले व्यर्थ वा विकारी स्वप्नों से भी मुक्त भव
बाप का फरमान है कि सोते समय सदा अपने बुद्धि को क्लीयर करो, चाहे अच्छा, चाहे बुरा सब
बाप के हवाले कर अपनी बुद्धि को खाली करो। बाप को देकर बाप के साथ सो जाओ। अकेले नहीं।
अकेले सोते हो या व्यर्थ बातों का वर्णन करते-करते सोते हो तब व्यर्थ वा विकारी स्वप्न आते हैं।
यह भी अलबेलापन है। इस अलबेलेपन को छोड़ फरमान पर चलो तो व्यर्थ वा विकारी स्वप्नों
से मुक्त हो जायेंगे।
स्लोगन:- तकदीरवान आत्मायें ही सच्ची सेवा द्वारा सर्व की आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।