Friday, September 5, 2014

Murli-(5-09-2014)-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - अन्दर में दिन रात बाबा-बाबा चलता रहे तो अपार खुशी रहेगी, 
बुद्धि में रहेगा बाबा हमें कुबेर का खजाना देने आये हैं'' 

प्रश्न:- बाबा किन बच्चों को ऑनेस्ट (ईमानदार) फूल कहते हैं? उनकी निशानी सुनाओ? 
उत्तर:- ऑनेस्ट फूल वह है जो कभी भी माया के वश नहीं होते हैं। माया की खिटपिट में नहीं 
आते हैं। ऐसे ऑनेस्ट फूल लास्ट में आते भी फास्ट जाने का पुरूषार्थ करते हैं। वह पुरानों से 
भी आगे जाने का लक्ष्य रखते हैं। अपने अवगुणों को निकालने के पुरूषार्थ में रहते हैं। दूसरों 
के अवगुणों को नहीं देखते। 

धारणा के लिए मुख्य सार :- 

1) किसी से भी ईर्ष्या आदि नहीं करनी है। खामियां निकाल सम्पूर्ण बनने का पुरूषार्थ करना है। 
पढ़ाई से ऊंच पद पाना है। 

2) शरीर सहित सब कुछ सन्यास करना है। किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं करनी है। 
अहंकार नहीं रखना है। 

वरदान:- स्वार्थ, ईर्ष्या और चिड़चिड़पने से मुक्त रहने वाले क्रोधमुक्त भव 

कोई भी विचार भले दो, सेवा के लिए स्वयं को आफर करो। लेकिन विचार के पीछे उस विचार 
को इच्छा के रूप में बदली नहीं करो। जब संकल्प इच्छा के रूप में बदलता है तब चिड़चिड़ापन 
आता है। लेकिन निस्वार्थ होकर विचार दो, स्वार्थ रखकर नहीं। मैने कहा तो होना ही चाहिए - 
यह नहीं सोचो, आफर करो, क्यों क्या में नहीं आओ, नहीं तो ईर्ष्या-घृणा एक एक साथी आते 
हैं। स्वार्थ या ईर्ष्या के कारण भी क्रोध पैदा होता है, अब इससे भी मुक्त बनो। 

स्लोगन:- शान्ति दूत बन सबको शान्ति देना - यही आपका आक्यूपेशन है।