Thursday, September 25, 2014

Murli-(24-09-2014)-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - यह राज़ सभी को सुनाओ कि आबू सबसे बड़ा तीर्थ है, 
स्वयं भगवान ने यहाँ से सबकी सद्गति की है'' 

प्रश्न:- कौन-सी एक बात मनुष्य अगर समझ जाएं तो यहाँ भीड़ लग जायेगी? 
उत्तर:- मुख्य बात समझ लें कि बाप ने जो राजयोग सिखाया था, वह अभी फिर 
से सिखा रहे हैं, वह सर्वव्यापी नहीं है। बाप इस समय आबू में आकर विश्व में 
शान्ति स्थापन कर रहे हैं, उसका जड़ यादगार देलवाड़ा मन्दिर भी है। आदि देव 
यहाँ चैतन्य में बैठे हैं, यह चैतन्य देलवाड़ा मन्दिर है, यह बात समझ लें तो 
आबू की महिमा हो जाए और यहाँ भीड़ लग जाए। आबू का नाम बाला हो गया 
तो यहाँ बहुत आयेंगे। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) देही-अभिमानी बनने का पूरा-पूरा पुरूषार्थ करना है। ऐसे कभी नहीं सोचना है 
कि जो नसीब में होगा। सेन्सीबुल बनना है। 

2) ज्ञान सुनकर उसे स्वरूप में लाना है, याद का जौहर धारण कर फिर सेवा करनी 
है। सबको आबू महान् तीर्थ की महिमा सुनानी है। 

वरदान:- संकल्प, बोल और कर्म के व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन करने वाले होलीहंस भव
 
होलीहंस का अर्थ है - संकल्प, बोल और कर्म के व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन करने 
वाले क्योंकि व्यर्थ जैसे पत्थर होता है, पत्थर की वैल्यु नहीं, रत्न की वैल्यु होती है। 
होलीहंस फौरन परख लेता है कि ये काम की चीज़ नहीं है, ये काम की है। कर्म करते 
सिर्फ यह स्मृति इमर्ज रहे कि हम राजयोगी नॉलेजफुल आत्मायें रूलिंग और 
कन्ट्रोलिंग पावर वाली हैं, तो व्यर्थ जा नहीं सकता। यह स्मृति होलीहंस बना देगी।
 
स्लोगन:- जो स्वयं को इस देह रूपी मकान में मेहमान समझते हैं वही निर्मोही रह सकते हैं।