Thursday, September 25, 2014

Murli-(23-09-2014)-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - यह वन्डरफुल सतसंग है जहाँ तुम्हें जीते जी मरना सिखलाया 
जाता है, जीते जी मरने वाले ही हंस बनते हैं'' 

प्रश्न:- तुम बच्चों को अभी कौन-सी एक फिकरात है? 
उत्तर:- हमें विनाश के पहले सम्पन्न बनना है। जो बच्चे ज्ञान और योग में मजबूत होते 
जाते हैं, उन्हें मनुष्य को देवता बनाने की हॉबी (आदत) होती जाती है। वह सर्विस के बिना 
रह नहीं सकते हैं। जिन्न की तरह भागते रहेंगे। सर्विस के साथ-साथ स्वयं को भी सम्पन्न 
बनाने की चिंता होगी। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) लास्ट सो फर्स्ट जाने के लिए महावीर बन पुरूषार्थ करना है। माया के तूफानों में हिलना 
नहीं है। बाप समान रहमदिल बन मनुष्यों के बुद्धि का ताला खोलने की सेवा करनी है। 

2) ज्ञान सागर में रोज़ ज्ञान स्नान कर परीज़ादा बनना है। एक दिन भी पढ़ाई मिस नहीं 
करनी है। भगवान के हम स्टूडेन्ट हैं-इस नशे में रहना है। 

वरदान:- निश्चय और नशे के आधार से हर परिस्थिति पर विजय प्राप्त करने वाले सिद्धि स्वरूप भव 

योग द्वारा अब ऐसी सिद्धि प्राप्त करो जो अप्राप्ति भी प्राप्ति का अनुभव कराये। निश्चय और 
नशा हर परिस्थिति में विजयी बना देता है। आगे चलकर ऐसे पेपर भी आयेंगे जो सूखी 
रोटी भी खानी पड़ेगी। लेकिन निश्चय, नशा और योग के सिद्धि की शक्ति सूखी रोटी को भी 
नर्म बना देगी। परेशान नहीं करेगी। आप सिद्धि स्वरूप की शान में रहो तो कोई भी परेशान 
नहीं कर सकता। कोई भी साधन हैं तो आराम से यूज करो लेकिन समय पर धोखा न दें - 
यह चेक करो। 

स्लोगन:- निमित्त बन यथार्थ पार्ट बजाओ तो सर्व के सहयोग की मदद मिलती रहेगी।