Thursday, September 25, 2014

Murli-(21-09-2014)-Hindi

21-09-14 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ’अव्यक्त-बापदादा“ रिवाइज: 19-12-78 मधुबन 
रीयल्टी ही सबसे बड़ी रॉयल्टी है 


महिमा सुन करके खुश हो गये, सदा ही ऐसे खुश रहो । पंजाब का विस्तार देख बापदादा खुश होते हैं - 
अभी क्या करना है? पंजाब की धरनी से नाम से काम करने वाली, सार वाली आत्मायें निकालो । 
जिसका नाम सुनते अनेक आत्मायें अपना भाग्य बना सके । ऐसी विशेष सेवा अभी और भी करनी है । 
सिर्फ सेवा निमित्त ऐसी विशेष आत्माओं का भी पार्ट है । तो ऐसी आत्माओं को अब सम्पर्क सम्बन्ध 
में लाओ । समझा क्या करना है! बड़े आवाज से ललकार करो - छोटे आवाज से करते हो तो छोटा 
आवाज वहाँ के गुरूद्वारों के आवाज में छिप जाता है । अच्छा । 

प्रश्न: - स्थाई नशे में कौन रह सकते हैं? स्थाई नशे में रहने वालों की निशानी क्या होगी? 
उत्तर:- स्थाई नशे में वही रह सकते जो बापदादा के दिल तख्तनशीन हैं । संगमयुगी श्रेष्ठ आत्माओं 
का स्थान ही है बाप का दिलतख्त । ऐसा तख्त सारे कल्प में नहीं मिल सकता, विश्व के राज्य का 
वा स्टेट के राज्य का तख्त तो मिलता रहेगा लेकिन ऐसा तख्त फिर नहीं मिलेगा । यह इतना विशाल 
तख्त है जो चलो फिरो, खाओ-सोओ लेकिन सदा तख्तनशीन । जो ऐसे तख्तनशीन बच्चे हैं वह 
पुरानी देह वह देह की दुनिया से विस्मृत रहते हैं, देखते हुए भी नहीं देखते । 

प्रश्न:- किस धारणा के आधार से सदा सुख के सागर में समाये रहेंगे? 
उत्तर:- अन्तर्मुखी बनो - अन्तर्मुखी सदा सुखी । इन्दौर निवासी अर्थात् अन्तर्मुखी सदा सुखी । बाप 
सुख का सागर है तो बच्चे भी सुख के सागर में लवलीन रहते होंगे । सुखदाता के बच्चे स्वयं भी 
सुखदाता । सर्व आत्माओं को सुख का खजाना बाँटने वाले । जो भी आवे, जिस भावना से आये, 
वह भावना आपसे सम्पन्न करके जाए, सर्व सम्पन्न मूर्तियाँ बनो । जैसे बाप के खजाने में अप्राप्त 
कोई वस्तु नहीं, वैसे बच्चे भी बाप समान तृप्त आत्मा होंगे । अच्छा - ओम् शान्ति ।

वरदान:- मनमनाभव के मन्त्र द्वारा मन के बन्धन से छूटने वाले निर्बन्धन, ट्रस्टी भव 

कोई भी बंधन ापिंजड़ा है। ापिंजड़े की मैना अब निर्बन्धन उड़ता पंछी बन गयी। अगर कोई 
तन का बंधन भी है तो भी मन उड़ता पंछी है क्योंकि मनमनाभव होने से मन के बन्धन छूट 
जाते हैं। प्रवृत्ति को सम्भालने का भी बन्धन नहीं। ट्रस्टी होकर सम्भालने वाले सदा निर्बन्धन 
रहते हैं। गृहस्थी माना बोझ, बोझ वाला कभी उड़ नहीं सकता। लेकिन ट्रस्टी हैं तो निर्बन्धन हैं 
और उड़ती कला से सेकण्ड में स्वीट होम पहुंच सकते हैं। 

स्लोगन:- उदासी को अपनी दासी बना दो, उसे चेहरे पर आने न दो।