मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम सर्व आत्माओं को कर्मबन्धन से सैलवेज़ करने वाले
प्रश्न:- कौन-सी प्रैक्टिस करते रहो तो आत्मा बहुत-बहुत शक्तिशाली बन जायेगी?
उत्तर:- जब भी समय मिले तो शरीर से डिटैच होने की प्रैक्टिस करो। डिटैच होने से
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) लाइट हाउस बन सबको शान्तिधाम, सुखधाम का रास्ता बताना है। सबकी नईया
2) अपने शान्त स्वरूप स्थिति में स्थित हो शरीर से डिटैच होने का अभ्यास करना है,
वरदान:- कोई भी बात कल्याण की भावना से देखने और सुनने वाले परदर्शन मुक्त भव
जितना संगठन बड़ा होता जाता है, बातें भी उतनी बड़ी होंगी। लेकिन अपनी सेफ्टी तब
स्लोगन:- अपने सन्तुष्ट, खुशनुम: जीवन से हर कदम में सेवा करने वाले ही सच्चे सेवाधारी हैं।
सैलवेशन आर्मी हो, तुम्हें कर्मबन्धन में नहीं फँसना है''
प्रश्न:- कौन-सी प्रैक्टिस करते रहो तो आत्मा बहुत-बहुत शक्तिशाली बन जायेगी?
उत्तर:- जब भी समय मिले तो शरीर से डिटैच होने की प्रैक्टिस करो। डिटैच होने से
आत्मा में शक्ति वापिस आयेगी, उसमें बल भरेगा। तुम अण्डर-ग्राउण्ड मिलेट्री हो,
तुम्हें डायरेक्शन मिलता है - अटेन्शन प्लीज़ अर्थात् एक बाप की याद में रहो,
अशरीरी हो जाओ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) लाइट हाउस बन सबको शान्तिधाम, सुखधाम का रास्ता बताना है। सबकी नईया
को दु:खधाम से निकालने की सेवा करनी है। अपना भी कल्याण करना है।
2) अपने शान्त स्वरूप स्थिति में स्थित हो शरीर से डिटैच होने का अभ्यास करना है,
याद में आंखे खोलकर बैठना है, बुद्धि से रचता और रचना का सिमरण करना है।
वरदान:- कोई भी बात कल्याण की भावना से देखने और सुनने वाले परदर्शन मुक्त भव
जितना संगठन बड़ा होता जाता है, बातें भी उतनी बड़ी होंगी। लेकिन अपनी सेफ्टी तब
है जब देखते हुए न देखें, सुनते हुए न सुनें। अपने स्वचिंतन में रहें। स्वचिंतन करने वाली
आत्मा परदर्शन से मुक्त हो जाती है। अगर किसी कारण से सुनना पड़ता है, अपने आपको
जिम्मेवार समझते हो तो पहले अपनी ब्रेक को पावरफुल बनाओ। देखा-सुना, जहाँ तक हो
सका कल्याण किया और फुल स्टॉप।
स्लोगन:- अपने सन्तुष्ट, खुशनुम: जीवन से हर कदम में सेवा करने वाले ही सच्चे सेवाधारी हैं।