मीठे बच्चे - माया को वश करने का मन्त्र है मन्मनाभव, इसी मन्त्र में सब खूबियां
समाई हुई हैं, यही मन्त्र तुम्हें पवित्र बना देता है''
प्रश्न:- आत्मा की सेफ्टी का नम्बरवन साधन कौन-सा है और कैसे?
उत्तर:- याद की यात्रा ही सेफ्टी का नम्बरवन साधन है क्योंकि इस याद से ही तुम्हारे
कैरेक्टर सुधरते हैं। तुम माया पर जीत पा लेते हो। याद से पतित कर्मेन्द्रियां शान्त
हो जाती हैं। याद से ही बल आता है। ज्ञान तलवार में याद का जौहर चाहिए। याद से
ही मीठे सतोप्रधान बनेंगे। कोई को भी नाराज़ नहीं करेंगे इसलिए याद की यात्रा में
कमजोर नहीं बनना है। अपने आपसे पूछना है कि हम कहाँ तक याद में रहते हैं?
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ऐसा मीठा वातावरण बनाना है जिसमें कोई भी नाराज़ न हो। बाप समान विदेही
बनने का पुरूषार्थ करना है। याद के बल से अपना स्वभाव मीठा और कर्मेन्द्रियां
शान्त करनी हैं।
2) सदा इसी नशे में रहना है कि अभी हम संगमयुगी हैं, कलियुगी नहीं। बाप हमें
नये विश्व का मालिक बनाने के लिए पढ़ा रहे हैं। अशुद्ध ख्यालात समाप्त कर देने हैं।
वरदान:- अपनी सूक्ष्म कमजोरियों को चिंतन करके परिवर्तन करने वाले स्वचिंतक भव
सिर्फ ज्ञान की प्वाइंटस रिपीट करना, सुनना वा सुनाना ही स्वचिंतन नहीं है लेकिन
स्वचिंतन अर्थात् अपनी सूक्ष्म कमजोरियों को, अपनी छोटी-छोटी गलतियों को चिंतन
करके मिटाना, परिवर्तन करना - यही है स्वचिंतक बनना। ज्ञान का मनन तो सभी
बच्चे बहुत अच्छा करते हैं लेकिन ज्ञान को स्वयं के प्रति यूज़ कर धारणा स्वरूप बनना,
स्वयं को परिवर्तन करना, इसकी ही मार्क्स फाइनल रिजल्ट में मिलती हैं।
स्लोगन:- हर समय करन-करावनहार बाबा याद रहे तो मैं पन का अभिमान नहीं आ सकता।
प्रश्न:- आत्मा की सेफ्टी का नम्बरवन साधन कौन-सा है और कैसे?
उत्तर:- याद की यात्रा ही सेफ्टी का नम्बरवन साधन है क्योंकि इस याद से ही तुम्हारे
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ऐसा मीठा वातावरण बनाना है जिसमें कोई भी नाराज़ न हो। बाप समान विदेही
2) सदा इसी नशे में रहना है कि अभी हम संगमयुगी हैं, कलियुगी नहीं। बाप हमें
वरदान:- अपनी सूक्ष्म कमजोरियों को चिंतन करके परिवर्तन करने वाले स्वचिंतक भव
सिर्फ ज्ञान की प्वाइंटस रिपीट करना, सुनना वा सुनाना ही स्वचिंतन नहीं है लेकिन
स्लोगन:- हर समय करन-करावनहार बाबा याद रहे तो मैं पन का अभिमान नहीं आ सकता।