Thursday, September 25, 2014

Murli-(16-09-2014)-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - योगबल से बुरे संस्कारों को परिवर्तन कर स्वयं में अच्छे 
संस्कार डालो। ज्ञान और पवित्रता के संस्कार अच्छे संस्कार हैं'' 

प्रश्न:- तुम बच्चों का बर्थ राइट कौन-सा है? तुम्हें अभी कौन-सी फीलिंग आती है? 
उत्तर:- तुम्हारा बर्थ राइट है मुक्ति और जीवनमुक्ति। तुम्हें अब फीलिंग आती है कि 
हमें बाप के साथ वापिस घर जाना है। तुम जानते हो-बाप आये हैं भक्ति का फल 
मुक्ति और जीवन मुक्ति देने। अभी सबको शान्तिधाम जाना है। सबको अपने घर 
का दीदार करना है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बेहद सुख का वर्सा प्राप्त करने के लिए मन्सा-वाचा-कर्मणा पवित्र जरूर बनना है। 
अच्छे संस्कार योगबल से धारण करने हैं। अपने को गुणवान बनाना है। 

2) सदा खुशी में रहने के लिए बाप जो रोज गुह्य-गुह्य बातें सुनाते हैं, उन्हें सुनना और 
दूसरों को सुनाना है। किसी भी बात में मूँझना नहीं है। युक्ति से उत्तर देना है। 
लज्जा नहीं करनी है। 

वरदान:- किसी के व्यर्थ समाचार को सुनकर इन्ट्रेस्ट बढ़ाने के बजाए फुलस्टाप 
लगाने वाले परमत से मुक्त भव 

कई बच्चे चलते-चलते श्रीमत के साथ आत्माओं की परमत मिक्स कर देते हैं। जब 
कोई ब्राह्मण संसार का समाचार सुनाता है तो उसे बहुत इन्ट्रेस्ट से सुनते हैं। कर कुछ 
नहीं सकते और सुन लेते हैं तो वह समाचार बुद्धि में चला जाता, फिर टाइम वेस्ट 
होता। इसलिए बाप की आज्ञा है सुनते हुए भी नहीं सुनो। अगर कोई सुना भी दे तो 
आप फुलस्टाप लगाओ, जिस व्यक्ति का सुना उसके प्रति दृष्टि वा संकल्प में भी 
घृणा भाव नहीं हो तब कहेंगे परमत से मुक्त। 

स्लोगन:- जिनकी दिल विशाल है उनके स्वप्न में भी हद के संस्कार इमर्ज नहीं हो सकते।