Thursday, September 25, 2014

Murli-(15-09-2014)-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - ज्ञान का तीसरा नेत्र सदा खुला रहे तो खुशी में रोमांच 
खड़े हो जायेंगे, खुशी का पारा सदा चढ़ा रहेगा'' 

प्रश्न:- इस समय मनुष्यों की नजर बहुत कमजोर है इसलिए उनको समझाने की युक्ति क्या है? 
उत्तर:- बाबा कहते उनके लिए तुम ऐसे-ऐसे बड़े चित्र बनाओ जो वह दूर से ही देखकर 
समझ जाएं। यह गोले का (सृष्टि चक्र का) चित्र तो बहुत बड़ा होना चाहिए। यह है अन्धों 
के आगे आइना। 

प्रश्न:- सारी दुनिया को स्वच्छ बनाने में तुम्हारा मददगार कौन बनता है? 

उत्तर:- यह नैचुरल कैलेमिटीज तुम्हारी मददगार बनती है। इस बेहद के दुनिया 
की सफाई के लिए जरूर कोई मददगार चाहिए। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बाप जो सिखलाते हैं उसे अमल में लाना है, सिर्फ कागज पर नोट नहीं करना है। 
विनाश के पहले जीवनबन्ध से जीवनमुक्त पद प्राप्त करना है। 

2) अपना टाइम विनाशी कमाई के पीछे अधिक वेस्ट नहीं करना है क्योंकि यह तो 
सब मिट्टी में मिल जाना है इसलिए बेहद के बाप से बेहद का वर्सा लेना है और 
दैवीगुण भी धारण करने हैं। 

वरदान:- अल्फ को जानने और पवित्रता के स्वधर्म को अपनाने वाले विशेष आत्मा भव
 
बापदादा को खुशी होती है कि मेरा एक-एक बच्चा विशेष आत्मा है - चाहे बुजुर्ग है, 
अनपढ़ है, छोटा बच्चा है, युवा है या प्रवृति वाला है लेकिन विश्व के आगे विशेष है। 
दुनिया में चाहे कोई कितने भी बड़े नेता हो, अभिनेता हो, वैज्ञानिक हों लेकिन 
अल्फ को नहीं जाना तो क्या जाना! आप निश्चयबुद्धि हो फलक से कहते हो कि 
तुम ढूढ़ते रहो, हमने तो पा लिया। प्रवृत्ति में रहते पवित्रता के स्वधर्म को अपना 
लिया तो पवित्र आत्मा विशेष आत्मा बन गये। 

स्लोगन:- जो सदा खुशहाल रहते हैं वही स्वयं को और सर्व को प्रिय लगते हैं।