Saturday, September 13, 2014

Murli-(13-09-2014)-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हारी यह पढ़ाई सोर्स ऑफ इनकम है, इस पढ़ाई से 21 जन्मों 
के लिए कमाई का प्रबन्ध हो जाता है'' 

प्रश्न:- मुक्तिधाम में जाना कमाई है या घाटा? 
उत्तर:- भक्तों के लिए यह भी कमाई है क्योंकि आधाकल्प से शान्ति-शान्ति मांगते आये हैं। 
बहुत मेहनत के बाद भी शान्ति नहीं मिली। अब बाप द्वारा शान्ति मिलती है अर्थात् मुक्तिधाम 
में जाते हैं तो यह भी आधाकल्प की मेहनत का फल हुआ इसलिए इसे भी कमाई कहेंगे, 
घाटा नहीं। तुम बच्चे तो जीवनमुक्ति में जाने का पुरूषार्थ करते हो। तुम्हारी बुद्धि में अभी 
सारे वर्ल्ड की हिस्ट्री-जाग्रॉफी नाच रही है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) इस पतित छी-छी दुनिया से बेहद का वैराग्य रख आत्मा को पावन बनाने का पूरा-पूरा 
पुरूषार्थ करना है। एक बाप की ही कशिश में रहना है। 

2) ज्ञान की धारणा से अपनी बैटरी भरनी है। ज्ञान रत्नों से स्वयं को धनवान बनाना है। 
अभी कमाई का समय है इसलिए घाटे से बचना है। 

वरदान:- हद की इच्छाओं को छोड़ अच्छा बनने वाले इच्छा मात्रम् अविद्या भव 

मन में कोई भी हद की इच्छा होगी तो अच्छा बनने नहीं देगी। जैसे धूप में चलते हो तो 
परछाई आगे जाती है, उसको अगर पकड़ने की कोशिश करो तो पकड़ नहीं सकते, पीठ करके 
आ जाओ तो परछाई पीछे-पीछे आयेगी। ऐसे ही इच्छा आकर्षित कर रूलाने वाली है, उसे 
छोड़ दो तो वह पीछे-पीछे आयेगी। मांगने वाला कभी भी सम्पन्न नहीं बन सकता। कोई भी 
हद की इच्छाओं के पीछे भागना ऐसे है जैसे मृगतृष्णा। इससे सदा बचकर रहो तो इच्छा 
मात्रम् अविद्या बन जायेंगे। 

स्लोगन:- अपने श्रेष्ठ कर्म वा श्रेष्ठ चलन द्वारा दुआयें जमा कर लो तो पहाड़ जैसी बात भी रूई 
के समान अनुभव होगी।