मुरली सार:- मीठे बच्चे - तुम हो चैतन्य लाइट हाउस, तुम्हें सबको बाप का परिचय देना है,
प्रश्न:- आगे चलकर कौन-सा डायरेक्शन और किस विधि से अनेक आत्माओं को मिलने वाला है?
उत्तर:- आगे चलकर बहुतों को यह डायरेक्शन मिलेगा कि तुम ब्रह्माकुमार-कुमारियों के पास
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप की याद के साथ-साथ खुशी में रहने के लिए 84 के चक्र को भी याद करना है।
2) डबल अहिंसक बनने के लिए क्रिमिनल आई को बदल सिविल आई बनानी है।
वरदान:- श्रीमत की लगाम को टाइट कर मन को वश करने वाले बालक सो मालिक भव
दुनिया वाले कहते हैं मन घोड़ा है जो बहुत तेज भागता है, लेकिन आपका मन इधर उधर
स्लोगन:- सदा निश्चय हो कि जो हो रहा है वो भी अच्छा और जो होने वाला है वो और
घर का रास्ता बताना है
प्रश्न:- आगे चलकर कौन-सा डायरेक्शन और किस विधि से अनेक आत्माओं को मिलने वाला है?
उत्तर:- आगे चलकर बहुतों को यह डायरेक्शन मिलेगा कि तुम ब्रह्माकुमार-कुमारियों के पास
जाओ तो तुमको यह वैकुण्ठ का प्रिन्स बनने का ज्ञान देंगे। यह इशारा उन्हों को ब्रह्मा के
साक्षात्कार से मिलेगा। अक्सर करके ब्रह्मा और श्रीकृष्ण का ही साक्षात्कार होता है। जैसे
आदि में साक्षात्कार का पार्ट चला, ऐसे ही अन्त में भी चलने वाला है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप की याद के साथ-साथ खुशी में रहने के लिए 84 के चक्र को भी याद करना है।
स्वदर्शन चक्र फिराना है। खुदा को अपना सच्चा दोस्त बनाना है।
2) डबल अहिंसक बनने के लिए क्रिमिनल आई को बदल सिविल आई बनानी है।
हम आत्मा भाई-भाई हैं, यह अभ्यास करना है।
वरदान:- श्रीमत की लगाम को टाइट कर मन को वश करने वाले बालक सो मालिक भव
दुनिया वाले कहते हैं मन घोड़ा है जो बहुत तेज भागता है, लेकिन आपका मन इधर उधर
भाग नहीं सकता क्योंकि श्रीमत का लगाम मजबूत है। जब मन-बुद्धि साइडसीन को
देखने में लग जाती है तो लगाम ढीला होने से मन चंचल होता है इसलिए जब भी कोई
बात हो, मन चंचल हो तो श्रीमत का लगाम टाइट करो तो मंजिल पर पहुंच जायेंगे।
बालक सो मालिक हूँ - इस स्मृति से अधिकारी बन मन को अपने वश में रखो।
स्लोगन:- सदा निश्चय हो कि जो हो रहा है वो भी अच्छा और जो होने वाला है वो और
भी अच्छा तो अचल-अडोल रहेंगे।