मुरली सार:- “मीठे बच्चे - तुम्हारा अनादि नाता है भाई-भाई का, तुम साकार में भाई-बहिन
प्रश्न:- विजयी अष्ट रत्न कौन बनते हैं? उनकी वैल्यु क्या है?
उत्तर:- जिनकी मन्सा में क्रिमिनल ख्यालात नहीं रहते, पूरी सिविल आई हो, वही अष्ट रत्न
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप का मन पसन्द बनने के लिए गुणवान बनना है। अच्छे-अच्छे गुण धारण कर फूल
2) फुल पास होने वा स्कॉलरशिप लेने के लिए ऐसी अवस्था बनानी है जो कुछ भी याद न आये,
वरदान:- गम्भीरता के गुण द्वारा फुल मार्क्स जमा करने वाले गम्भीरता की देवी वा देवता भव
वर्तमान समय गम्भीरता के गुण की बहुत-बहुत आवश्यकता है क्योंकि बोलने की आदत बहुत
स्लोगन:- बिन्दु रूप में स्थित रहो तो समस्याओं को सेकण्ड में बिन्दु लगा सकेंगे।
हो इसलिए तुम्हारी कभी क्रिमिनल दृष्टि नहीं जा सकती”
प्रश्न:- विजयी अष्ट रत्न कौन बनते हैं? उनकी वैल्यु क्या है?
उत्तर:- जिनकी मन्सा में क्रिमिनल ख्यालात नहीं रहते, पूरी सिविल आई हो, वही अष्ट रत्न
बनते हैं अर्थात् कर्मातीत अवस्था को पाते हैं। उनकी इतनी अधिक वैल्यु होती जो किसी पर
कभी ग्रहचारी बैठती है तो उसे अष्ट रत्न की अंगूठी पहनाते हैं। समझते हैं इससे ग्रहचारी उतर
जायेगी। अष्ट रत्न बनने वाले दूरादेशी बुद्धि होने कारण भाई-भाई की स्मृति में निरन्तर रहते हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप का मन पसन्द बनने के लिए गुणवान बनना है। अच्छे-अच्छे गुण धारण कर फूल
बनना है। अवगुण निकाल देने हैं। किसी को भी कांटा नहीं लगाना है।
2) फुल पास होने वा स्कॉलरशिप लेने के लिए ऐसी अवस्था बनानी है जो कुछ भी याद न आये,
पूरी सिविल आई बन जाये। सदा बृहस्पति की दशा बनी रहे।
वरदान:- गम्भीरता के गुण द्वारा फुल मार्क्स जमा करने वाले गम्भीरता की देवी वा देवता भव
वर्तमान समय गम्भीरता के गुण की बहुत-बहुत आवश्यकता है क्योंकि बोलने की आदत बहुत
हो गई है, जो आता है वो बोल देते हो। किसी ने कोई अच्छा काम किया और बोल दिया तो आधा
खत्म हो जाता है। आधा ही जमा होता है और जो गम्भीर होता है उसका फुल जमा होता है
इसलिए गम्भीरता की देवी वा देवता बनो और अपनी फुल मार्क्स इकट्ठी करो। वर्णन करने
से मार्क्स कम हो जायेंगी।
स्लोगन:- बिन्दु रूप में स्थित रहो तो समस्याओं को सेकण्ड में बिन्दु लगा सकेंगे।