24-08-14 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “अव्यक्त-बापदादा” रिवाइज:07-12-78 मधुबन
बाप समान सम्पूर्ण बनने के चिन्ह
वरदान:- सेवा के उमंग-उत्साह द्वारा सेफ्टी का अनुभव करने वाले मायाजीत भव
जो बच्चे स्थूल काम के साथ-साथ रूहानी सेवा के लिए भागते हैं, एवररेडी रहते हैं
स्लोगन:- ज्ञान और योग को अपने जीवन की नेचर बना लो तो पुरानी नेचर बदल
बाप समान सम्पूर्ण बनने के चिन्ह
वरदान:- सेवा के उमंग-उत्साह द्वारा सेफ्टी का अनुभव करने वाले मायाजीत भव
जो बच्चे स्थूल काम के साथ-साथ रूहानी सेवा के लिए भागते हैं, एवररेडी रहते हैं
तो यह सेवा का उमंग-उत्साह भी सेफ्टी का साधन बन जाता है। जो सेवा में लगे
रहते हैं वह माया से बचे रहते हैं। माया भी देखती है कि इन्हों को फुरसत नहीं है
तो वो भी वापस चली जाती है। जिन बच्चों का बाप और सेवा से प्यार है उन्हें
एक्स्ट्रा हिम्मत की मदद मिलती है, जिससे सहज ही मायाजीत बन जाते हैं।
स्लोगन:- ज्ञान और योग को अपने जीवन की नेचर बना लो तो पुरानी नेचर बदल
जायेगी।