Monday, August 18, 2014

Murli-(18-08-2014)-Hindi

मुरली सार:- “मीठे बच्चे - यह ब्रह्मा है सतगुरु की दरबार, इस भ्रकुटी में सतगुरू विराजमान हैं, 
वही तुम बच्चों की सद्गति करते हैं’’ 

प्रश्न:- बाप अपने बच्चों को किस गुलामी से छुड़ाने आये हैं? 
उत्तर:- इस समय सभी बच्चे प्रकृति और माया के गुलाम बन गये हैं। बाप अभी इस गुलामी 
से छुड़ाते हैं। अभी माया और प्रकृति दोनों ही तंग करते हैं। कभी तूफान, कभी फैमन है। फिर 
तुम ऐसे मालिक बन जाते हो जो सारी प्रकृति तुम्हारी गुलाम रहती है। माया का वार भी नहीं होता। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बाप जो सुनाते हैं, वही सुनना है और जज करना है कि राइट क्या है। राइट को ही याद करना है। 
अनराइटियस बात को न सुनना है, न बोलना है, न देखना है। 

2) पढ़ाई अच्छी रीति पढ़कर अपने को राजाओं का राजा बनाना है। इस पुराने शरीर और पुरानी 
दुनिया में अपने को टैम्प्रेरी समझना है। 

वरदान:- विस्मृति की दुनिया से निकल स्मृति स्वरूप रह हीरो पार्ट बजाने वाले विशेष आत्मा भव

यह संगमयुग स्मृति का युग है और कलियुग विस्मृति का युग है। आप सब विस्मृति की 
दुनिया से निकल आये। जो स्मृति स्वरूप हैं वही हीरो पार्ट बजाने वाली विशेष आत्मा हैं। 
इस समय डबल हीरो हो, एक हीरे समान वैल्युबुल बने हो दूसरा हीरो पार्ट है। तो यही दिल 
का गीत सदा बजता रहे कि वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य। जैसे देह का आक्यूपेशन याद रहता है, 
ऐसे ये अविनाशी आक्यूपेशन कि “मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ” याद रहे तब कहेंगे विशेष आत्मा। 

स्लोगन:- हिम्मत का पहला कदम आगे बढ़ाओ तो बाप की सम्पूर्ण मदद मिलेगी।