मुरली सार:- “मीठे बच्चे - बाप आया है तुम्हें सच्ची स्वतन्त्रता देने, जमघटों की सजाओं
प्रश्न:- बाप और तुम बच्चों की समझानी में मुख्य अन्तर कौन-सा है?
उत्तर:- बाप जब समझाते हैं तो ‘मीठे बच्चे’ कहकर समझाते हैं, जिससे बाप की बात का
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) एक बाप मिला है इसलिए किसी भी बात का ग़म (चिंता) नहीं करना है। उनकी मत पर
2) जमघटों की सजाओं से बचने वा सच्ची स्वतन्त्रता पाने के लिए पावन जरूर बनना है।
वरदान:- लाइट के आधार पर ज्ञान-योग की शक्तियों का प्रयोग करने वाले प्रयोगशाली आत्मा भव
जैसे प्रकृति की लाइट साइन्स के अनेक प्रकार के प्रयोग प्रैक्टिकल में करके दिखाती है,
स्लोगन:- विघ्नों के अंश और वंश को समाप्त करने वाले ही विघ्न-विनाशक हैं।
से मुक्त करने, रावण की परतन्त्रता से छुड़ाने”
प्रश्न:- बाप और तुम बच्चों की समझानी में मुख्य अन्तर कौन-सा है?
उत्तर:- बाप जब समझाते हैं तो ‘मीठे बच्चे’ कहकर समझाते हैं, जिससे बाप की बात का
तीर लगता है। तुम बच्चे आपस में भाइयों को समझाते हो, ‘मीठे बच्चे’ नहीं कह सकते।
बाप बड़ा है इसलिए उनकी बात का असर होता है। वह बच्चों को रियलाइज़ कराते हैं-बच्चों,
तुम्हें लज्जा नहीं आती, तुम पतित बन गये, अब पावन बनो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) एक बाप मिला है इसलिए किसी भी बात का ग़म (चिंता) नहीं करना है। उनकी मत पर
चलकर, बेहद का समझदार बन खुशी-खुशी सबका उद्धार करने के निमित्त बनना है।
2) जमघटों की सजाओं से बचने वा सच्ची स्वतन्त्रता पाने के लिए पावन जरूर बनना है।
नॉलेज सोर्स आफ इनकम है, इसे धारण कर धनवान बनना है।
वरदान:- लाइट के आधार पर ज्ञान-योग की शक्तियों का प्रयोग करने वाले प्रयोगशाली आत्मा भव
जैसे प्रकृति की लाइट साइन्स के अनेक प्रकार के प्रयोग प्रैक्टिकल में करके दिखाती है,
ऐसे आप अविनाशी परमात्म लाइट, आत्मिक लाइट और साथ-साथ प्रैक्टिकल स्थिति
की लाइट द्वारा ज्ञान योग की शक्तियों का प्रयोग करो। यदि स्थिति और स्वरूप डबल
लाइट है तो प्रयोग की सफलता बहुत सहज होती है। जब हर एक स्वयं के प्रति प्रयोग
में लग जायेंगे तो प्रयोगशाली आत्माओं का पावरफुल संगठन बन जायेगा।
स्लोगन:- विघ्नों के अंश और वंश को समाप्त करने वाले ही विघ्न-विनाशक हैं।