Wednesday, August 13, 2014

Murli-(13-08-2014)-Hindi

मुरली सार:- “मीठे बच्चे - बाप, टीचर और सतगुरू यह तीन अक्षर याद करो तो अनेक 
शिफ्तें (विशेषतायें) आ जायेंगी’’ 

प्रश्न:- किन बच्चों के हर कदम में पद्मों की कमाई जमा होती रहती है? 
उत्तर:- जो अपना हर कदम सर्विस में बढ़ाते रहते हैं, वही पद्मों की कमाई जमा करते हैं। 
अगर बाबा की सर्विस में कदम नहीं उठायेंगे तो पद्म कैसे पायेंगे। सर्विस ही कदम में 
पद्म देती है, इसी से पद्मापद्मपति बनते हो। 

प्रश्न:- किस राज़ को जानने के कारण तुम बच्चे सभी के कल्याणकारी बनते हो? 
उत्तर:- बाबा ने हम बच्चों को यह राज़ समझाया है कि सभी की यह एक ही हट्टी है, यहाँ 
सबको आना ही है। यह बहुत गुह्य राज़ है। इस राज़ को जानने वाले बच्चे ही सबके 
कल्याणकारी बनते हैं। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) गृहस्थ व्यवहार में बहुत युक्ति से चलना है, कोई को नाराज़ भी नहीं करना है, 
पवित्र भी जरूर बनना है। 

2) एक बाप से अविनाशी ज्ञान रत्नों का दाना ले अपनी बुद्धि रूपी झोली भरपूर रखनी है, 
बुद्धि को भटकाना नहीं है, पैगम्बर बन सबको बाप का पैगाम देना है। 

वरदान:- अकाल तख्त और दिलतख्त पर बैठ सदा श्रेष्ठ कर्म करने वाले कर्मयोगी भव 

इस समय आप सभी बच्चों को दो तख्त मिलते हैं - एक अकाल तख्त, दूसरा दिल तख्त। 
लेकिन तख्त पर वही बैठता है जिसका राज्य होता है। जब अकाल तख्तनशीन हैं तो 
स्वराज्य अधिकारी हैं और बाप के दिल तख्तनशीन हैं तो बाप के वर्से के अधिकारी हैं, 
जिसमें राज्य भाग्य सब आ जाता है। कर्मयोगी अर्थात् दोनों तख्तनशीन। ऐसी 
तख्तनशीन आत्मा का हर कर्म श्रेष्ठ होता है क्योंकि सब कर्मेन्द्रियां लॉ और ऑर्डर पर रहती हैं।
 
स्लोगन:- जो सदा स्वमान की सीट पर सेट रहते हैं वही गुणवान और महान हैं।