Tuesday, August 12, 2014

Murli-(12-08-2014)-Hindi

मुरली सार:- मीठे बच्चे - याद की यात्रा से ही तुम्हारी कमाई जमा होती है, तुम घाटे 
से फायदे में आते हो, विश्व के मालिक बनते हो 

प्रश्न:- सत का संग तारे कुसंग बोरे - इसका अर्थ क्या है? 
उत्तर:- जब तुम बच्चों को सत का संग अर्थात् बाप का संग मिलता है तब तुम्हारी 
चढ़ती कला हो जाती है। रावण का संग कुसंग है, उसके संग से तुम नीचे गिरते हो 
अर्थात् रावण तुम्हें डुबोता है, बाप पार ले जाता है। बाप की भी कमाल है जो सेकण्ड 
में ऐसा संग देते जिससे तुम्हारी गति सद्गति हो जाती है, इसलिए उसे जादूगर भी 
कहा जाता है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) सजाओं से मुक्त होने के लिए विजय माला का दाना बनने का पुरूषार्थ करना है, 
रूहानी पण्डा बन सबको शान्तिधाम घर की यात्रा करानी है। 

2) याद की यात्रा को बढ़ाते-बढ़ाते सब पापों से मुक्त हो जाना है। योग अग्नि से आत्मा 
को सच्चा सोना बनाना है, सतोप्रधान बनना है। 

वरदान:- सुख स्वरूप बन हर आत्मा को सुख देने वाले मास्टर सुखदाता भव 

जो बच्चे सदा यथार्थ कर्म करते हैं उन्हें उस कर्म का प्रत्यक्षफल खुशी और शक्ति 
मिलती है। उनका दिल सदा खुश रहता है, उन्हें संकल्प मात्र भी दु:ख की लहर नहीं 
आ सकती। संगमयुगी ब्राह्मण अर्थात् दु:ख का नाम निशान नहीं क्योंकि सुखदाता 
के बच्चे हैं। ऐसे सुखदाता के बच्चे स्वयं भी मास्टर सुखदाता होंगे। वे हर आत्मा 
को सदा सुख देंगे। वे कभी न दु:ख देंगे न दु:ख लेंगे। 

स्लोगन:- मास्टर दाता बन सहयोग, स्नेह और सहानुभूति देना - यही रहमदिल 
आत्मा की निशानी है।