10-08-14 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “अव्यक्त-बापदादा” रिवाइज:03-12-78 मधुबन
पाप और पुण्य की गुह्य गति
वरदान:- योगबल द्वारा माया की शक्ति पर जीत प्राप्त करने वाले सदा विजयी भव
ज्ञान बल और योग बल सबसे श्रेष्ठ बल है। जैसे साइन्स का बल अंधकार पर विजय
स्लोगन:- नम्बरवन में आना है तो व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन कर दो।
पाप और पुण्य की गुह्य गति
वरदान:- योगबल द्वारा माया की शक्ति पर जीत प्राप्त करने वाले सदा विजयी भव
ज्ञान बल और योग बल सबसे श्रेष्ठ बल है। जैसे साइन्स का बल अंधकार पर विजय
प्राप्त कर रोशनी कर देता है। ऐसे योगबल सदा के लिए माया पर जीत प्राप्त कर
विजयी बना देता है। योगबल इतना श्रेष्ठ बल है जो माया की शक्ति इसके आगे
कुछ भी नहीं है। योगबल वाली आत्मायें स्वप्न में भी माया से हार नहीं खा
सकती। स्वप्न में भी कोई कमजोरी आ नहीं सकती। ऐसा विजय का तिलक
आपके मस्तक पर लगा हुआ है।
स्लोगन:- नम्बरवन में आना है तो व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन कर दो।