Saturday, August 2, 2014

Murli-(02-08-2014)-Hindi

मुरली सार:- “मीठे बच्चे - विनाशी शरीरों से प्यार न करके अविनाशी बाप से प्यार 
करो तो रोने से छूट जायेंगे” 

प्रश्न:- अनराइटियस प्यार क्या है और उसका परिणाम क्या होता है? 
उत्तर:- विनाशी शरीरों में मोह रखना अनराइटियस प्यार है। जो विनाशी चीज़ों में मोह 
रखते हैं, वह रोते हैं। देह-अभिमान के कारण रोना आता है। सतयुग में सब आत्म-अभिमानी 
हैं, इसलिए रोने की बात ही नहीं रहती। जो रोते हैं वह खोते हैं। अविनाशी बाप की 
अविनाशी बच्चों को अब शिक्षा मिलती है, देही-अभिमानी बनो तो रोने से छूट जायेंगे। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1. तुम्हारे याद के हर कदमों में पद्म हैं, इससे ही अमर पद प्राप्त करना है। अविनाशी ज्ञान 
रत्न जो बाप से मिलते हैं, उनका दान करना है। 

2. आत्म-अभिमानी बन अपार खुशी का अनुभव करना है। शरीरों से मोह निकाल सदा 
हर्षित रहना है, मोहजीत बनना है। 

वरदान:- महादानी बन फ्राकदिली से खुशी का खजाना बांटने वाले मास्टर रहमदिल भव 

लोग अल्पकाल की खुशी प्राप्त करने के लिए कितना समय वा धन खर्च करते हैं फिर भी 
सच्ची खुशी नहीं मिलती, ऐसे आवश्यकता के समय आप आत्माओं को महादानी बन 
फ्राकदिली से खुशी का दान देना है। इसके लिए रहमदिल का गुण इमर्ज करो। आपके जड़ 
चित्र वरदान दे रहे हैं तो आप भी चैतन्य में रहमदिल बन बांटते जाओ, क्योंकि परवश 
आत्मायें हैं। कभी ये नहीं सोचो कि ये तो सुनने वाले ही नहीं है, आप रहमदिल बन देते 
जाओ। आपकी शुभ भावना उन्हों को फल अवश्य देगी। 

स्लोगन:- योग की शक्ति द्वारा हर कर्मेन्द्रिय को ऑर्डर में चलाने वाले ही स्वराज्य अधिकारी हैं।