मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - यह अनादि ड्रामा फिरता ही रहता है, टिक-टिक होती रहती है,
प्रश्न:- किस युक्ति से तुम सिद्ध कर बता सकते हो कि भगवान् आ चुका है?
उत्तर:- किसी को सीधा नहीं कहना है कि भगवान् आया हुआ है, ऐसा कहेंगे तो लोग हँसी
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस समय ही बाप समान परफेक्ट बन पूरा वर्सा लेना है। बाप की सब शिक्षाओं को स्वयं
2) बुद्धि को पारस बनाने के लिए पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है। निश्चयबुद्धि बन मनुष्य से
वरदान:- अकल्याण के संकल्प को समाप्त कर अपकारियों पर उपकार करने वाले ज्ञानी तू आत्मा भव
कोई रोज़ आपकी ग्लानी करे, अकल्याण करे, गाली दे - तो भी उसके प्रति मन में घृणा भाव
स्लोगन:- मनमनाभव की स्थिति में स्थित रहो तो औरों के मन के भावों को जान जायेंगे।
इसमें एक का पार्ट न मिले दूसरे से, इसे यथार्थ समझकर सदा हर्षित रहना है''
प्रश्न:- किस युक्ति से तुम सिद्ध कर बता सकते हो कि भगवान् आ चुका है?
उत्तर:- किसी को सीधा नहीं कहना है कि भगवान् आया हुआ है, ऐसा कहेंगे तो लोग हँसी
उड़ायेंगे, टीका करेंगे क्योंकि आजकल अपने को भगवान् कहलाने वाले बहुत हैं इसलिए
तुम युक्ति से पहले दो बाप का परिचय दो। एक हद का, दूसरा बेहद का बाप। हद के बाप से
हद का वर्सा मिलता है, अब बेहद का बाप बेहद का वर्सा देते हैं, तो समझ जायेंगे।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस समय ही बाप समान परफेक्ट बन पूरा वर्सा लेना है। बाप की सब शिक्षाओं को स्वयं
में धारण कर उनके समान ज्ञान का सागर, शान्ति-सुख का सागर बनना है।
2) बुद्धि को पारस बनाने के लिए पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है। निश्चयबुद्धि बन मनुष्य से
देवता बनने का इम्तहान पास करना है।
वरदान:- अकल्याण के संकल्प को समाप्त कर अपकारियों पर उपकार करने वाले ज्ञानी तू आत्मा भव
कोई रोज़ आपकी ग्लानी करे, अकल्याण करे, गाली दे - तो भी उसके प्रति मन में घृणा भाव
न आये, अपकारी पर भी उपकार - यही ज्ञानी तू आत्मा का कर्तव्य है। जैसे आप बच्चों ने
बाप को 63 जन्म गाली दी फिर भी बाप ने कल्याणकारी दृष्टि से देखा, तो फालो फादर। ज्ञानी
तू आत्मा का अर्थ ही है सर्व के प्रति कल्याण की भावना। अकल्याण संकल्प मात्र भी नहीं हो।
स्लोगन:- मनमनाभव की स्थिति में स्थित रहो तो औरों के मन के भावों को जान जायेंगे।