Wednesday, July 2, 2014

Murli-[2-7-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हें टाइम पर अपने घर वापस जाना है इसलिए याद की 
रफ्तार को बढ़ाओ, इस दु:खधाम को भूल शान्तिधाम और सुखधाम को याद करो'' 

प्रश्न:- कौन-सा एक गुह्य राज़ तुम मनुष्यों को सुनाओ तो उनकी बुद्धि में हलचल मच जायेगी? 
उत्तर:- उन्हें गुह्य राज़ सुनाओ कि आत्मा इतनी छोटी बिन्दी है, उसमें फार एवर पार्ट भरा हुआ
है, जो पार्ट बजाती ही रहती है। कभी थकती नहीं। मोक्ष किसी को मिल नहीं सकता। मनुष्य 
बहुत दु:ख देखकर कहते हैं मोक्ष मिले तो अच्छा है, लेकिन अविनाशी आत्मा पार्ट बजाने के 
बिना रह नहीं सकती। इस बात को सुनकर उनके अन्दर हलचल मच जायेगी। 

धारणा के लिए मुख्य सार :- 

1) जैसे पढ़ाने वाला टीचर विदेही है, उसे देह का भान नहीं, ऐसे विदेही बनना है। शरीर का 
भान छोड़ते जाना है। क्रिमिनल आई को बदल सिविल आई बनानी है। 

2) अपनी बुद्धि को विशाल बनाना है। सजाओं से छूटने के लिए बाप का वा पढ़ाई का रिगॉर्ड 
रखना है। कभी भी दु:ख नहीं देना है। अशान्ति नहीं फैलानी है। 

वरदान:- खुशियों के खजाने से सम्पन्न बन दु:खी आत्माओं को खुशी का दान देने वाले 
पुण्य आत्मा भव 

इस समय दुनिया में हर समय का दु:ख है और आपके पास हर समय की खुशी है। तो दु:खी 
आत्माओं को खुशी देना - यह सबसे बड़े से बड़ा पुण्य है। दुनिया वाले खुशी के लिए कितना 
समय, सम्पत्ति खर्च करते हैं और आपको सहज अविनाशी खुशी का खजाना मिल गया। 
अब सिर्फ जो मिला है उसे बांटते जाओ। बांटना माना बढ़ना। जो भी सम्बन्ध में आये वह 
अनुभव करे कि इनको कोई श्रेष्ठ प्राप्ति हुई है जिसकी खुशी है। 

स्लोगन:- अनुभवी आत्मा कभी भी किसी बात से धोखा नहीं खा सकती, वह सदा विजयी रहती है।