Friday, April 4, 2014

Murli-[4-4-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप है दाता, तुम बच्चों को बाप से कुछ भी मांगने की दरकार 
नहीं, कहावत है मांगने से मरना भला'' 

प्रश्न:- कौन-सी स्मृति सदा रहे तो किसी भी बात की चिंता वा चिंतन नहीं रहेगा? 
उत्तर:- जो पास्ट हुआ - अच्छा वा बुरा, ड्रामा में था। सारा चक्र पूरा होकर फिर रिपीट होगा। 
जैसा जो पुरूषार्थ करते, ऐसा पद पाते हैं। यह बात स्मृति में रहे तो किसी भी बात की चिंता 
वा चिंतन नहीं रहेगा। बाप का डायरेक्शन है-बच्चे, बीती को चितवो नहीं। उल्टी-सुल्टी कोई 
भी बात न सुनो, न सुनाओ। जो बात बीत गई उसका न तो विचार करो और न रिपीट करो। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) हम दु:ख हर्ता, सुख कर्ता बाप के बच्चे हैं, इसलिए किसी को भी दु:ख नहीं देना है। 
एम ऑब्जेक्ट को सामने रख दैवीगुण धारण करने हैं। आप समान बनाने की सेवा करनी है। 

2) ड्रामा के हर पार्ट को जानते हुए कोई भी बीती बात का चिंतन नहीं करना है। मन्सा, 
वाचा, कर्मणा कोई ख़राब कर्म न हो-यह ध्यान देकर डबल अहिंसक बनना है। 

वरदान:- सेवा में स्नेह और सत्यता की अथॉरिटी के बैलेन्स द्वारा सफलतामूर्त भव 

जैसे इस झूठ खण्ड में ब्रह्मा बाप को सत्यता की अथॉरिटी का प्रत्यक्ष स्वरूप देखा। उनके 
अथॉरिटी के बोल कभी अंहकार की भासना नहीं देंगे। अथॉरिटी के बोल में स्नेह समाया 
हुआ है। अथॉरिटी के बोल सिर्फ प्यारे नहीं प्रभावशाली होते हैं। तो फालो फादर करो - स्नेह 
और अथॉरिटी, निमार्णता और महानता दोनों साथ-साथ दिखाई दें। वर्तमान समय सेवा में 
इस बैलेन्स को अन्डरलाइन करो तो सफलता मूर्त बन जायेंगे। 

स्लोगन:- मेरे को तेरे में परिवर्तन करना अर्थात् भाग्य का अधिकार लेना।