30-03-14 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ``अव्यक्त बापदादा'' रिवाइज:31-12-97 मधुबन
इस वर्ष को मुक्ति वर्ष मनाओ, सफल करो सफलता लो
वरदान:- सदा हल्के बन बाप के नयनों में समाने वाले सहजयोगी भव
संगमयुग पर जो खुशियों की खान मिलती है वह और किसी युग में नहीं मिल सकती।
स्लोगन:- निगेटिव सोचने का रास्ता बंद कर दो तो सफलता स्वरूप बन जायेंगे।
इस वर्ष को मुक्ति वर्ष मनाओ, सफल करो सफलता लो
वरदान:- सदा हल्के बन बाप के नयनों में समाने वाले सहजयोगी भव
संगमयुग पर जो खुशियों की खान मिलती है वह और किसी युग में नहीं मिल सकती।
इस समय बाप और बच्चों का मिलन है, वर्सा है, वरदान है। वर्सा अथवा वरदान दोनों
में मेहनत नहीं होती इसलिए आपका टाइटल ही है सहजयोगी। बापदादा बच्चों की
मेहनत देख नहीं सकते, कहते हैं बच्चे अपने सब बोझ बाप को देकर खुद हल्के हो
जाओ। इतने हल्के बनो जो बाप अपने नयनों पर बिठाकर साथ ले जाये। बाप से
स्नेह की निशानी है - सदा हल्के बन बाप की नजरों में समा जाना।
स्लोगन:- निगेटिव सोचने का रास्ता बंद कर दो तो सफलता स्वरूप बन जायेंगे।