Thursday, April 3, 2014

Murli-[28-3-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - ज्ञान की डिपार्टमेन्ट अलग है, योग की अलग है। योग से आत्मा 
सतोप्रधान बनती है, योग के लिए एकान्त की जरूरत है'' 

प्रश्न:- स्थाई याद में रहने का आधार क्या है? 
उत्तर:- तुम्हारे पास जो कुछ भी है, उसे भूल जाओ। शरीर भी याद न रहे। सब ईश्वरीय सेवा में 
लगा दो। यही है मेहनत। इस कुर्बानी से याद स्थाई रह सकती है। तुम बच्चे प्यार से बाप को 
याद करेंगे तो याद से याद मिलेगी। बाबा भी करेन्ट देंगे। करेन्ट से ही आयु बढ़ती है। आत्मा 
एवरहेल्दी बन सकती है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बाप से सर्च-लाइट लेने के लिए सवेरे-सवेरे उठ बाप की याद में बैठना है। रात्रि को जागकर 
एक-दो को करेन्ट दे मददगार बनना है। 

2) अपना सब-कुछ ईश्वरीय सेवा में सफल कर, इस पुराने शरीर को भी भूल बाप की याद में 
रहना है। पूरा कुर्बान जाना है। देही-अभिमानी रहने की मेहनत करनी है। 

वरदान:- ऊपर से अवतरित हो अवतार बन सेवा करने वाले साक्षात्कार मूर्त भव 

जैसे बाप सेवा के लिए वतन से नीचे आते हैं, ऐसे हम भी सेवा के प्रति वतन से आये हैं, ऐसे 
अनुभव कर सेवा करो तो सदा न्यारे और बाप समान विश्व के प्यारे बन जायेंगे। ऊपर से नीचे 
आना माना अवतार बन अवतरित होकर सेवा करना। सभी चाहते हैं कि अवतार आयें और 
हमको साथ ले जायें। तो सच्चे अवतार आप हो जो सबको मुक्तिधाम में साथ ले जायेंगे। 
जब अवतार समझकर सेवा करेंगे तब साक्षात्कार मूर्त बनेंगे और अनेकों की इच्छायें पूर्ण होंगी। 

स्लोगन:- आपको कोई अच्छा दे या बुरा आप सबको स्नेह दो, सहयोग दो, रहम करो।