मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - श्रीमत पर अच्छी सर्विस करने वालों को ही राजाई की प्राइज़ मिलती है,
प्रश्न:- बाप की ज्ञान डांस किन बच्चों के सम्मुख बहुत अच्छी होती है?
उत्तर:- जो ज्ञान के शौकीन हैं, जिन्हें योग का नशा है, उनके सामने बाप की ज्ञान डांस बहुत अच्छी
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) आत्मा रूपी ज्योति को प्रज्जवलित करने के लिए सवेरे-सवेरे याद की यात्रा में बैठना है।
2) बाप से ऊंच पद की प्राइज़ लेने के लिए भावना के साथ-साथ ज्ञानवान और गुणवान भी बनना है।
अगर कोई भी पदार्थ कर्मेन्द्रियों को विचलित करता है अर्थात् आसक्ति का भाव उत्पन्न होता है
स्लोगन:- मेरे-मेरे के झमेलों को छोड़ बेहद में रहो तब कहेंगे विश्व कल्याणकारी।
तुम बच्चे अभी बाप के मददगार बने हो इसलिए तुम्हें बहुत बड़ी प्राइज़ मिलती है''
प्रश्न:- बाप की ज्ञान डांस किन बच्चों के सम्मुख बहुत अच्छी होती है?
उत्तर:- जो ज्ञान के शौकीन हैं, जिन्हें योग का नशा है, उनके सामने बाप की ज्ञान डांस बहुत अच्छी
होती है। नम्बरवार स्टूडेन्ट हैं। परन्तु यह वन्डरफुल स्कूल है। कइयों में जरा भी ज्ञान नहीं है, सिर्फ
भावना बैठी हुई है, उस भावना के आधार पर भी वर्से के अधिकारी बन जाते हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) आत्मा रूपी ज्योति को प्रज्जवलित करने के लिए सवेरे-सवेरे याद की यात्रा में बैठना है।
याद से ही जंक निकलेगी। आत्मा में जो खाद पड़ी है वह याद से निकाल सच्चा सोना बनना है।
2) बाप से ऊंच पद की प्राइज़ लेने के लिए भावना के साथ-साथ ज्ञानवान और गुणवान भी बनना है।
सर्विस करके दिखाना है।
वरदान:- सर्व पदार्थो की आसक्तियों से न्यारे अनासक्त, प्रकृतिजीत भव
अगर कोई भी पदार्थ कर्मेन्द्रियों को विचलित करता है अर्थात् आसक्ति का भाव उत्पन्न होता है
तो भी न्यारे नहीं बन सकेंगे। इच्छायें ही आसक्तियों का रूप हैं। कई कहते हैं इच्छा नहीं है लेकिन
अच्छा लगता है। तो यह भी सूक्ष्म आसक्ति है - इसकी महीन रूप से चेकिंग करो कि यह पदार्थ
अर्थात् अल्पकाल सुख के साधन आकर्षित तो नहीं करते हैं? यह पदार्थ प्रकृति के साधन हैं,
जब इनसे अनासक्त अर्थात् न्यारे बनेंगे तब प्रकृतिजीत बनेंगे।
स्लोगन:- मेरे-मेरे के झमेलों को छोड़ बेहद में रहो तब कहेंगे विश्व कल्याणकारी।