मीठे बच्चे – यह सच्चा-सच्चा सत का संग है ऊपर चढ़ने का, तुम अभी सत बाप के संग में आये हो
इसलिए झूठ संग में कभी नहीं जाना
प्रश्न:- तुम बच्चों की बुद्धि किस आधार पर सदा बेहद में टिक सकती है?
उत्तर:- बुद्धि में स्वदर्शन चक्र फिरता रहे, जो कुछ ड्रामा में चल रहा है, यह सब नूँध है सेकेण्ड का
भी फ़र्क नहीं पड़ सकता वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होनी है यह बात बुद्धि में अच्छी तरह आ
जाये तो बेहद में टिक सकते हो बेहद में टिकने के लिए ध्यान पर रहे कि अब विनाश होना है, हमें
वापिस घर जाना है, पावन बन करके ही हम घर जायेंगे
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. इस दुःखधाम का बुद्धि से सन्यास कर शान्तिधाम और सुखधाम स्मृति में रखना है भारत की वा
अपनी सच्ची सेवा करनी है सबको रूहानी नॉलेज सुनानी है
2. अपना सतयुगी जन्म सिद्ध अधिकार लेने के लिए एक बाप में पूरा निश्चय रखना है अन्दर से
अजपाजाप करते रहना है पढ़ाई रोज़ ज़रूर पढ़नी है
वरदान:- स्व-दर्शन द्वारा माया के सब चक्रों को समाप्त करने वाले मायाजीत भव !
अपने आपको जानना अर्थात् स्व का दर्शन होना और चक्र का ज्ञान जानना अर्थात् स्वदर्शन चक्रधारी बनना
जब स्वदर्शन चक्रधारी बनते हो तो अनेक माया के चक्र स्वतः समाप्त हो जाते हैं देहभान का चक्र,
सम्बन्ध का चक्र, समस्याओं का चक्र.....माया के अनेक चक्र हैं 63 जन्म इन्हीं अनेक चक्रों में फँसते
रहे अब स्वदर्शन चक्रधारी बनने से मायाजीत बन गये स्वदर्शन चक्रधारी बनना अर्थात् ज्ञान योग
के पंखों से उड़ती कला में जाना
स्लोगन:- विदेही स्थिति में रहो तो परिस्थितियाँ सहज पार हो जायेंगी