मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - यह पुरूषोत्तम युग ही गीता एपीसोड है, इसमें ही तुम्हें पुरूषार्थ
प्रश्न:- किस एक बात का सदा ध्यान रहे तो बेड़ा पार हो जायेगा?
उत्तर:- सदा ध्यान रहे कि हमें ईश्वरीय संग में रहना है तो भी बेड़ा पार हो जायेगा। अगर सगंदोष
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जो बात बीत गई, उसका चिंतन नहीं करना है। अब तक जो कुछ पढ़ा उसे भूलना है, एक
2) पूरा निश्चयबुद्धि होकर रहना है। किसी भी बात में संशय नहीं उठाना है। ईश्वरीय संग और
वरदान:- दिल से ``मेरा बाबा'' कहकर सच्चा सौदा करने वाले सरेन्डर वा मरजीवा भव
ब्रह्माकुमार कुमारी बनना माना सरेन्डर होना। जब दिल से कहते हो ``मेरा बाबा'' तो बाबा भी कहते
स्लोगन:- अगर मेरा शब्द से प्यार है तो अनेक मेरे को एक मेरे बाबा में समा दो।
कर उत्तम पुरूष अर्थात् देवता बनना है''
प्रश्न:- किस एक बात का सदा ध्यान रहे तो बेड़ा पार हो जायेगा?
उत्तर:- सदा ध्यान रहे कि हमें ईश्वरीय संग में रहना है तो भी बेड़ा पार हो जायेगा। अगर सगंदोष
में आये, संशय आया तो बेड़ा विषय सागर में डूब जायेगा। बाप जो समझाते हैं उसमें बच्चों
को जरा भी संशय नहीं आना चाहिए। बाप तुम बच्चों को आप समान पवित्र और नॉलेजफुल
बनाने आये हैं। बाप के संग में ही रहना है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जो बात बीत गई, उसका चिंतन नहीं करना है। अब तक जो कुछ पढ़ा उसे भूलना है, एक
बाप से सुनना है और अपने ब्राह्मण कुल को सदा याद रखना है।
2) पूरा निश्चयबुद्धि होकर रहना है। किसी भी बात में संशय नहीं उठाना है। ईश्वरीय संग और
पढ़ाई कभी भी नहीं छोड़ना है।
वरदान:- दिल से ``मेरा बाबा'' कहकर सच्चा सौदा करने वाले सरेन्डर वा मरजीवा भव
ब्रह्माकुमार कुमारी बनना माना सरेन्डर होना। जब दिल से कहते हो ``मेरा बाबा'' तो बाबा भी कहते
बच्चे सब कुछ तेरा। चाहे प्रवृत्ति में हो, चाहे सेन्टर पर हो लेकिन जिसने दिल से कहा मेरा बाबा,
तो बाप ने अपना बना लिया, यह दिल का सौदा है, मुख का स्थूल सौदा नहीं। सरेन्डर माना श्रीमत
के अन्डर रहने वाले। ऐसे सरेन्डर होने वाले ही मरजीवा ब्राह्मण हैं।
स्लोगन:- अगर मेरा शब्द से प्यार है तो अनेक मेरे को एक मेरे बाबा में समा दो।