Thursday, April 10, 2014

Murli-[10-4-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम सवेरे अमीर बनते हो, शाम को फ़कीर बनते हो। फ़कीर से अमीर, 
पतित से पावन बनने के लिये दो शब्द याद रखो - मन्मनाभव, मध्याजीभव'' 

प्रश्न:- कर्मबन्धन से मुक्त होने की युक्ति क्या है? 
उत्तर:- 1. याद की यात्रा तथा ज्ञान का सिमरण, 2. एक के साथ सर्व सम्बन्ध रहें, अन्य कोई में 
भी बुद्धि न जाये, 3.जो सर्वशक्तिमान् बैटरी है, उस बैटरी से योग लगा हुआ हो। अपने ऊपर पूरा 
ध्यान हो, दैवी गुणों के पंख लगे हुए हों तो कर्मबन्धन से मुक्त होते जायेंगे। 

धारणा के लिये मुख्य सार :- 

1) खुशबूदार फूल बनने के लिये संग की बहुत सम्भाल करनी है। हंसों का संग करना है, 
हंस होकर रहना है। मुरली में कभी बेपरवाह नहीं बनना है, गफलत नहीं करनी है। 

2) कर्मबन्धन से मुक्त होने के लिये संगमयुग पर अपने सर्व सम्बन्ध एक बाप से रखने है। 
आपस में कोई सम्बन्ध नहीं रखना है। किसी हद के सम्बन्ध में लव रख बुद्धियोग लटकाना 
नहीं है। एक को ही याद करना है। 

वरदान:- स्नेह और अथॉरिटी के बैलेन्स द्वारा सम्पर्क में आने वाली आत्माओं को समर्पित कराने 
वाली महान आत्मा भव 

जो भी सम्पर्क में आते हैं उन्हें ऐसा सम्बन्ध में लाओ जो सम्बन्ध में आते-आते समर्पण बुद्धि हो 
जाएं और कहें कि जो बाप ने कहा है वही सत्य है, इसको कहते हैं समर्पण बुद्धि। फिर उनके प्रश्न 
समाप्त हो जायेंगे। सिर्फ यह नहीं कहें कि इन्हों का ज्ञान अच्छा है लेकिन यह नया ज्ञान है जो नई 
दुनिया लायेगा - यह आवाज हो तब कुम्भकरण जागेंगे। तो नवीनता की महानता द्वारा स्नेह और 
अथॉरिटी के बैलेन्स से ऐसा समर्पित कराओ तब कहेंगे माइक तैयार हुए। 

स्लोगन:- एक परमात्मा के प्यारे बनो तो विश्व के प्यारे बन जायेंगे।